प्रभात कुमार   (ûßhá pråbhàt)
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Joined 25 March 2020


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Joined 25 March 2020


है इतनी ज़्यादा कि
मैं क्या चाहूँ उनसे
नज़रों को देखकर
जान जाती है
मैं मुस्कुराऊँ
वो पहचान जाती है
हाथों में हाथ डालकर
सब कुछ बोल जाती है

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कौन सी दुआ करूँ
तेरे चेहरे पर मुस्कान भरूँ
ज़िन्दगी का है फ़ैसला यही
मैं तेरा तू मेरी
दूर-दूर ना रह तू पास आजा मेरे
भर लूँ तुझको बाहों में करूँ मोहब्बत
तू ख़ुश ना रहेगी तो मैं भी ख़ुश ना रह सकूँगा
उस ख़ुदा से करूँ मैं यही दुआ
तू सदा ख़ुश रहे
मुझे ना चाहो तो किसी और के साथ रहो
तेरी ख़ुशी में ही है मेरी ख़ुशी
कुछ तो मुझसे कहो
तेरे दिल की बात मैं जान सकूँ

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तू मेरी मैं तेरा
फिर क्यों तू नाराज़ है
बता तो ज़रा क्या बात है
क्या तू साथ मेरे
ख़ुश नहीं रह सकती
कुछ तो बता दे मुझको
इन होठों पर मुस्कान भर
ज़िन्दगी तू मेरे नाम कर

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मेरे महबूब इश्क़ भरी ये रात है
दो दिलों की मिलन की रात है

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विश्वास करो मुझ पर
निराश नहीं करूँगा
थाम के हाथ तुम्हारा
ज़िन्दगी भर साथ
तुम्हारे चलूँगा

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( सफ़्हा का हिन्दी अर्थ किताब का एक पन्ना )

तुझे प्यार हमने इतना किया
तेरी तस्वीर मेरा हर सफ़्हा बन गया

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इन हसीन वादियों में
ये क्या हो गया
दिल हमारा तुम्हारा हो गया
हम तुम्हारे तुम हमारे हो गए
हाथों में हाथ आ गया
हमें तुमसे तुम्हें हमसे प्यार हो गया

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पत्नी के बाहर जाने के कारण इस बार पैरंट टीचर मीटिंग में अपने बच्चों के साथ मुझे स्कूल जाना पड़ा। वर्ग शिक्षिका ने मुझे देखकर कहा आपका बच्चा हर बार टॉप पर रहता था। इस बार पता नहीं क्या बात हुआ । चुप-चुप और खोया खोया कर रहने लगा है। बहुत पूछा लेकिन कुछ बताता ही नहीं है । घर आकर बेटे को अपने पास बिठाकर कुछ समझा कर पूछा क्या बात है बेटा अपने पापा को नहीं बताओगे । मेरी बातें सुनकर मेरा बेटा रोने लगा और रोते-रोते बोला स्कूल में बड़े क्लास के बच्चे ने मेरे साथ गलत हरकत किया और कहा कि किसी को बताओगे तो पिटाई कर दूँगा । उसकी बातें सुनकर मैं भी घबड़ा गया । फिर दूसरे दिन जाकर स्कूल में वर्ग शिक्षिका को सारी बातें बताया तब जाकर मेरे बेटे के अंदर का डर खत्म हुआ और वो अब बोरिंग बच्चा नहीं रहा है स्कूल में।

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काम भी होना आसान
मिलजुल कर कोई काम करेंगे
होगा पूरा विश्वास करो
एक दूसरे को हिम्मत देते रहना
मुश्किल काम भी हो जाएगा आसान

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ऐसा क्या गुनाह मैंने किया
जो लोगों की नफ़रत
मेरे ऊपर बढ़ता गया
था तन्हा अकेला वो सहारा दे दिया
बना के अपना नाम उसको अपना दिया
उसकी ज़िन्दगी को मैंने संवार चाहा
न जाने लोगों को क्यों अच्छा ना लगा

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