Praveen Kushwaha   (Artist Praveen kushwaha)
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Joined 18 April 2018


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Joined 18 April 2018
13 MAY 2022 AT 10:53

'आरक्षण'
मुझे "मोहब्बत" में चाहिए,
क्योंकि मैं शक्ल से पिछड़ा हुआ हूं //

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3 MAY 2022 AT 8:55

यह मत पूछ कि कितना खुश हूं मैं,
हर जगह खुशी फैलाकर,,
एक खुशी की खोज में हूं मैं //

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29 APR 2022 AT 18:17

तेरी आंखों पर मेरी आंखों की नजर है,
मेरे इश्क का पता नहीं कैसा ये असर है /

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26 APR 2022 AT 21:14

इच्छाओं में लटका रहता है मन ,
और जिंदगी जी कर चली जाती है //

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22 APR 2022 AT 22:31

मैं तो खुद से बिछड़ा हुआ हूँ,
तुमसे क्या मिल पाऊंगा //

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18 FEB 2022 AT 22:36

बड़ी सस्ती हुई शराब ये,
ज्यादा ज्यादा पिया करो ,,
एक यूनिट के साथ एक यूनिट फ्री है ,,,
दिल्ली वालों ज्यादा ज्यादा पिया करो ///

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18 FEB 2022 AT 22:29

वह अपने ही क्या है जो बुरा मान जाए ,
कलम तो अक्सर हकीकत ही लिखा करती है//

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18 FEB 2022 AT 22:21

"जल्दी" थी जाने की ,
"रुकना" तो शर्मिंदा हो गया //

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8 FEB 2022 AT 10:58

खुद को इतना भी मत छुपाया कर,
कभी हल्की या तेज बारिश हो,,
उसमें जाकर नहाया कर //

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25 JAN 2022 AT 19:37

'कैंसर' की तरह होता है,
"प्यार"
जो बिन बुलाए चलाता है ,
और मार कर चला जाता है //

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