तेरा बोया हुआ गुलाब हूं, खिलूंगा नहींतू तमाम कोशिश करले अब मिलूंगा नहींक़सूर लहरों का नहीं, मेरी पुरानी कश्ती का थाइक सुराख तुने भी किया, कुछ कहूंगा नहींतेरी आंखों की खता, जो मुझे देख ना पाईंइलाज महंगा कराले पर अब दिखूंगा नहींबंजर जमीं पे उगा हुआ शजर हूं मैंतूफान कितने भी आएं, हिलूंगा नहींजो जल जाते थे मेरे साथ तुझे देख, सारे रकीबफ़क़त उन्हें तू चूम भी आए, मैं जलूंगा नहीं ! -
तेरा बोया हुआ गुलाब हूं, खिलूंगा नहींतू तमाम कोशिश करले अब मिलूंगा नहींक़सूर लहरों का नहीं, मेरी पुरानी कश्ती का थाइक सुराख तुने भी किया, कुछ कहूंगा नहींतेरी आंखों की खता, जो मुझे देख ना पाईंइलाज महंगा कराले पर अब दिखूंगा नहींबंजर जमीं पे उगा हुआ शजर हूं मैंतूफान कितने भी आएं, हिलूंगा नहींजो जल जाते थे मेरे साथ तुझे देख, सारे रकीबफ़क़त उन्हें तू चूम भी आए, मैं जलूंगा नहीं !
-
दुनियादारी छोड़ जाने का बहाना नहीं मिलतापरिंदे को पनाह तो मिलती है आशियाना नहीं मिलताये ऊंची इमारतें, चमकती रातें काफ़ी है मगरमन के फकीर को दुरुस्त ठिकाना नहीं मिलताबड़े शहर का हर मिजाज़ चख लिया, मेरे दोस्त वो गांव का सुकून वो मौसम सुहाना नहीं मिलता अकसर चला जाता हूं उन्हीं पुरानी गलियों में शख्श वही मिलता है पर वो दोस्त पुराना नहीं मिलताऔर झूठ कहता है साकी, शराब हर दर्द की दवा है मेरे रंज-ओ-गम मिटा दे ऐसा कोई मयखाना नहीं मिलता ! -
दुनियादारी छोड़ जाने का बहाना नहीं मिलतापरिंदे को पनाह तो मिलती है आशियाना नहीं मिलताये ऊंची इमारतें, चमकती रातें काफ़ी है मगरमन के फकीर को दुरुस्त ठिकाना नहीं मिलताबड़े शहर का हर मिजाज़ चख लिया, मेरे दोस्त वो गांव का सुकून वो मौसम सुहाना नहीं मिलता अकसर चला जाता हूं उन्हीं पुरानी गलियों में शख्श वही मिलता है पर वो दोस्त पुराना नहीं मिलताऔर झूठ कहता है साकी, शराब हर दर्द की दवा है मेरे रंज-ओ-गम मिटा दे ऐसा कोई मयखाना नहीं मिलता !
न पूछो मुझसे, क्यूं लिखना छोड़ दियाक्यूं पहली मोहब्ब्त (कलम) से रिश्ता तोड़ लियाएक हवा चल पड़ी थी मुझे खाक करने कोमैंने खाक को दीवार कर, हवा का रुख मोड़ दियामेरे अल्फाज पढ़ खुदकुशी पर उतर आए कुछ लोगकोई बद्दुआ लगी और अल्फाजों ने कफन ओढ़ लियाजश्न है बाजार में के बिखरा हूं मैं तिनका-तिनकादेखो इन्हीं तिनकों से, किसीने एक मकां जोड़ लिया ! -
न पूछो मुझसे, क्यूं लिखना छोड़ दियाक्यूं पहली मोहब्ब्त (कलम) से रिश्ता तोड़ लियाएक हवा चल पड़ी थी मुझे खाक करने कोमैंने खाक को दीवार कर, हवा का रुख मोड़ दियामेरे अल्फाज पढ़ खुदकुशी पर उतर आए कुछ लोगकोई बद्दुआ लगी और अल्फाजों ने कफन ओढ़ लियाजश्न है बाजार में के बिखरा हूं मैं तिनका-तिनकादेखो इन्हीं तिनकों से, किसीने एक मकां जोड़ लिया !
ठहरा है जो दरिया , कहीं सैलाब ना हो जाएकिस्से बेवफाई के नज़्म-ए-किताब ना हो जाएअब वो पूछता नहीं मुझसे वजह,मेरे ना लिखने कीवो खौफजदा है कि कहीं बेनकाब ना हो जाए! -
ठहरा है जो दरिया , कहीं सैलाब ना हो जाएकिस्से बेवफाई के नज़्म-ए-किताब ना हो जाएअब वो पूछता नहीं मुझसे वजह,मेरे ना लिखने कीवो खौफजदा है कि कहीं बेनकाब ना हो जाए!
मैं चाहता हूं कि वो नासमझ बना रहेसमझदार हुआ तो बेवफा हो जाएगा ! -
मैं चाहता हूं कि वो नासमझ बना रहेसमझदार हुआ तो बेवफा हो जाएगा !
दिल हर जगह बहक जाए, फायदा क्याआज इसपे कल उसपे आ जाए,फायदा क्यावक्त बिताने वाले तो हजार मिलेंगेसाथ निभाने वाला ना मिले, फायदा क्याअरे गैरों के पिछे भागो.. औरअपनों को नजर अंदाज करो, फायदा क्याकिसी पे तुम जां निसार दोवो कहीं और शाम गुजार दे, फायदा क्या ! -
दिल हर जगह बहक जाए, फायदा क्याआज इसपे कल उसपे आ जाए,फायदा क्यावक्त बिताने वाले तो हजार मिलेंगेसाथ निभाने वाला ना मिले, फायदा क्याअरे गैरों के पिछे भागो.. औरअपनों को नजर अंदाज करो, फायदा क्याकिसी पे तुम जां निसार दोवो कहीं और शाम गुजार दे, फायदा क्या !
पहले सांसों में बसा फिर हर सांस पे कब्जा कर लियाइस मर्ज (corona) की आदतें भी मेरे महबूब सी है ! -
पहले सांसों में बसा फिर हर सांस पे कब्जा कर लियाइस मर्ज (corona) की आदतें भी मेरे महबूब सी है !
We all encounter sycophants in life,we engage in themandend up losing authentic people. -
We all encounter sycophants in life,we engage in themandend up losing authentic people.
बेरहम था जमाना कि तुम आएशहर था वीराना कि तुम आएउतरे थे हम भी नीलाम-ए-बाजार होनेबिकने को ही थे कि तुम आएतूफानों से उलझ रहे थे जज़्बातों के दिएबुझने को ही थे कि तुम आएयूं तो जला दी थी हमने किताब शायरी की कलम तोड़ने को ही थे कि तुम आएलगा अब मुक्कमल नही सुकूं इस जहां मेंफना होने को ही थे कि तुम आए ! -
बेरहम था जमाना कि तुम आएशहर था वीराना कि तुम आएउतरे थे हम भी नीलाम-ए-बाजार होनेबिकने को ही थे कि तुम आएतूफानों से उलझ रहे थे जज़्बातों के दिएबुझने को ही थे कि तुम आएयूं तो जला दी थी हमने किताब शायरी की कलम तोड़ने को ही थे कि तुम आएलगा अब मुक्कमल नही सुकूं इस जहां मेंफना होने को ही थे कि तुम आए !
वो बेखबर है तो बेखबर रहने देऐ खुदा मेरी दुआएं बेअसर रहने देसजा ऐसी हो कि ज़माना देखेउम्रकैद है तो उम्रभर रहने देअब इश्क है मुझे इस फकीरी सेठिकाना ना दे , दर-बदर रहने देबेवफा है मंजिल, रास्तों ने संभाला हैइस सफर को मेरा हमसफर रहने देरहे आंखे नम और हिज्र की रात का गममेरी यादों का असर उसपे इस कदर रहने दे! -
वो बेखबर है तो बेखबर रहने देऐ खुदा मेरी दुआएं बेअसर रहने देसजा ऐसी हो कि ज़माना देखेउम्रकैद है तो उम्रभर रहने देअब इश्क है मुझे इस फकीरी सेठिकाना ना दे , दर-बदर रहने देबेवफा है मंजिल, रास्तों ने संभाला हैइस सफर को मेरा हमसफर रहने देरहे आंखे नम और हिज्र की रात का गममेरी यादों का असर उसपे इस कदर रहने दे!