सावन की धूप होगी, और समंदर का किनारा।हवाओं में बहती तेरी जुल्फें होंगी, और आंखों का वो इशारा।मैं बाहों में तेरी डूब जाऊंगा,आ दिखा दे अब जमाने को ये खुबसूरत नजारा। -
सावन की धूप होगी, और समंदर का किनारा।हवाओं में बहती तेरी जुल्फें होंगी, और आंखों का वो इशारा।मैं बाहों में तेरी डूब जाऊंगा,आ दिखा दे अब जमाने को ये खुबसूरत नजारा।
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मुझे ज़िन्दगी नाम की उस सुई में पिरोया गया,जहां मैं जाने-अनजाने न जाने, कितने लोगो को तकलीफ़ देता गया। -
मुझे ज़िन्दगी नाम की उस सुई में पिरोया गया,जहां मैं जाने-अनजाने न जाने, कितने लोगो को तकलीफ़ देता गया।
याद न करूं तो क्या करूं?मर जाते होगें कायर किसी के इंतज़ार में।मैं तो वह शख्स हूं!जो मुद्दतों निकाल देगा तेरे प्यार में। -
याद न करूं तो क्या करूं?मर जाते होगें कायर किसी के इंतज़ार में।मैं तो वह शख्स हूं!जो मुद्दतों निकाल देगा तेरे प्यार में।
दो ही नजारे पसंद है मुझे,एक चलते हुए कमर तेरी और एक तेरी जुल्फों का लहराना। -
दो ही नजारे पसंद है मुझे,एक चलते हुए कमर तेरी और एक तेरी जुल्फों का लहराना।
खाली सा है मेरे शब्दों का शहर।सफ़र में जो साथ थे,मंजिल तक पहुंचते-पहुंचते वही खिलाफ हो गए। -
खाली सा है मेरे शब्दों का शहर।सफ़र में जो साथ थे,मंजिल तक पहुंचते-पहुंचते वही खिलाफ हो गए।
मैं निकला था घर से, कि दिल जो कहेगा, हर वो खुराफात करूंगा।मैं क्या जानू था?कि जिम्मेदारियों के बोझ तले, दिन-रात मरूंगा। -
मैं निकला था घर से, कि दिल जो कहेगा, हर वो खुराफात करूंगा।मैं क्या जानू था?कि जिम्मेदारियों के बोझ तले, दिन-रात मरूंगा।
मिले जो कभी तो खुलकर बताऊंगा,कैसे पीता हूं मैं ज़हर कि तू मेरी नहीं। -
मिले जो कभी तो खुलकर बताऊंगा,कैसे पीता हूं मैं ज़हर कि तू मेरी नहीं।
ऊंचाईयों पर खड़ा अकेला,यहाँ किसी का अपनापन महसूस नहीं होता।कहते हैं लोग काबिलियत को सलाम है,मगर इन्हीं लोगों की नजरों में कोई काबिल नहीं होता। -
ऊंचाईयों पर खड़ा अकेला,यहाँ किसी का अपनापन महसूस नहीं होता।कहते हैं लोग काबिलियत को सलाम है,मगर इन्हीं लोगों की नजरों में कोई काबिल नहीं होता।
नाराज़गी है मेरे आंगन के गुलाबों में,वजह मेरे घर में बहती तेरी खुशबू है। -
नाराज़गी है मेरे आंगन के गुलाबों में,वजह मेरे घर में बहती तेरी खुशबू है।
Hey -
Hey