Prashant Pushkar   (प्रशांत पुष्कर)
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Joined 23 October 2017


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15 SEP 2022 AT 11:22

...
इश्क़ की किफायती नही कामगारी,
महगाई है जज्बात की दुकानों में,
मिल जाये जो चौक के बाजारों में,
वो इश्क़ नही, जो उतरे हर पैमाने में। 
हर मुहब्बत की किताब उठा के देखना,
महफिलों में रंग जमा दिया करती हैं,
पढ़ना उन्हें आसान जरूर होता है,
गुजरना उनसे, किसी तूफान से कम नही ।।

तो लिखता हूँ,
और लिखता रहूंगा,
अनंत के उस पार भी,
जिस चौखट तक,
रहेगी साथ अपनी कहानी,
उस घर को मंदिर बना डालूंगा,
वहां दफन कर दूंगा अस्थियां अपनी,
जिन दीवारों के बीच दफन होंगी,
यादें तेरी मेरी ।।

Read Caption for complete poem.

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11 FEB 2022 AT 2:20

वादा करना और तोड़ देना,
फितरत नही हमारी,
ठहरता, गिरता, संभालता,
निभा ही तो रहा था,
पर जमीर बेच कर,
वादा निभाना जुर्रत नही हमारी ।।

जो टूटा, जो छुटा, जो बिछड़ गए,
जाने दो उन खुसनशिबों को,
वादा जो किया था,
भूल जाओ उन लभ्जो को,
उनको खुश रखना,
हैसियत नही हमारी ।।

Some Promises are meant to be broken,
Some come back to haunt you,
What we can do is mend our mistakes,
And live new promises and strive hard to fulfill them, but with happiness from within...

— % &

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1 JAN 2022 AT 22:37

कुल 365 दिन बीत गए,
बहुत जल्द - अविलंब,
विचलित गलतियां विलुप्त हुए,
कई जीत के नए स्तम्भ ।

कितनी यादें संजोई हमने,
कितने दर्द भूल गए,
कितने नए लोगों को जाना,
कितने थे, जो बिछड़ गए ।

फिर ऐसा ही होगा नए साल में,
फिर कई ठेस तुम खाओगे,
फिर से लड़ के, फिर से उड़ना,
नई पताका फेहराओगे ।

बस मत दोहराना वही गलतियां,
चोट जिससे तुमने खाया था,
नई शिखर पर, नई कहानियां,
नए जीत तुम गाओगे ।

थोड़ा अंतदर्शन, थोड़ी योजना,
थोड़ा कर्म और नई परियोजना,
सेहत के लिए थोड़ा प्रयास,
तो खुसी और थोड़ा अट्टहास ।।

सभी बड़ों को नए वर्ष का नया प्रणाम ।।
सभी छोटो को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद ।।
Happy New Year 2022...

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1 JAN 2022 AT 21:51

It's time to look back a little, Retrace our paths,
Introspect, Redefine, Reshuffle our cards,
Mistakes we did, we should learn from,
Appreciate the Good we did, ride the storm,
Plan your Year, and Break it to Months and days,
And you will see, perfectness it sways,
Set your benchmarks, break them all,
Let us all take a little better stroll,
Trek and camp in the lap of mother nature,
To reenergize, just get away from noise and litter,
Come back, hit it hard, try new ways,
Read more, tune in your song, be a little gay,
All targets will be an epitome to the onlookers
It all will be just a historic chatter,
Enjoy it, and all days will be done,
New Year with growth and smile we will welcome.

Stay safe, take good care of your health. Party in-house.
Happy new year everyone...


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2 NOV 2021 AT 12:55

Deepawali, or Diwali as we call it,
Is not just festival of lights,
It isn't just about sweets,
It's about Happiness,
It's about Positivity,
Bringing home the warmth,
The Warmth of Family Togetherness,
It also about Clarity,
Cleaning of heart and lighting our hopes,
Hopes, that our Dreams are achieved.

दोवाली दीपों की आवली से कहीं आगे,
खुशियों और आशाओं की दीवाली है,
मिठाईयां तो बस तरीका है,
ये आने वाले समृद्धि की आकांक्षाएं हैं ।।

Subh Deepawali,
Light the negativity and darkness around you,
Light your ambitions and let it fly,
Like the rocket in Diwali Crackers...
Happy Diwali.

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7 SEP 2021 AT 23:20

मैंने हर लफ्ज़ में, जो नाम पुकारा तेरा,
अब खुदा भी थोड़ा शर्मा जाया करता है ।

मैंने हर सांस में, जो सुनी तेरी धड़कन,
अब हर शक्श में बस तू ही दिखाई देता है ।

खुसबू भी बस तेरी है जो अब इस रूह में,
जहर में भी शर्बत का स्वाद आ जाया करता है ।

हर कोने में जो तेरी यादें सजा रखी है,
ये मेरा आशियाना भी मुझे जन्नत दिखाई देता है ।।

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28 AUG 2021 AT 12:05

#तुम
क्या तुम सोहबत हो, मेरी मोहब्बत या मेरी जरूरत ?
सोचता हूँ, अपना दिल टटोलता हु,
रोटी, कपड़े, मकान से ज्यादा,तुमको अपनी जरूरत मानता हूं।
क्या फर्क हुआ तेरे आ जाने से? क्या बदलाव जो जरूरी था !
कुछ पल दो, चंद लफ्जों में बयान करता हूँ।
मेरी कमजोरियों का जवाब हो तुम, मेरे खर्चों का हिसाब हो तुम,
सुबह शाम तो हो ही, मेरी भूख और प्यास हो तुम।
दर्द की दवा, हर चोट का मलहम हो तुम,
मेरी हर ख़ाहिश की मंजिल हो तुम।
जरूरत तो एक छोटा शब्द है,
हर जरूरत से बढ़कर, जरूरत-ए-खाश हो तुम।
फ़र्क़ तो है ही, मेरे हर हर्फ़ में उसी फ़र्क़ का जिक्र तो है ही,
मेरी जिंदगी का एक नया अंदाज हो तुम।
कविता क्या काफी होगी,शायद कहानियों में बयान करना होगा,
कहानी जो कम पड़ी तो, नमाजों में अदा करना होगा,
जो भी हो,
मेरी कविताओं, कहानियों, नमाजों का जरूरी अल्फ़ाज़ हो तुम,
मेरे हर इबादत का दरखास्त हो तुम।
भोर की सुनहरी लालिमा है हँसी तेरी, सांज की बद्री से खुशनुमा चेहरा तेरा,
लहलहाती ठंडी पवन से जो जुल्फ है, इन्ही से तो है इत्मिनान मेरा ।
और इसलिए शायद, मेरी आँखों का नूर, दिल की धड़कन,
जिंदगी का हर सांस हो तुम ।
बस खुदा से इतनी ही गुजारिश है,
अकेलेपन की कभी खामोशी न हो,
आखरी सांस तक मेरे बस मेरे साथ हो तुम ।

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29 APR 2021 AT 23:03

मैं एक खुली किताब हूँ,
तुम इस किताब की कवर सी,
ढकता है जो मुझे हर छोर से,
बना के रखता है मेरी ताक़त भी,
उस किताब का कोरा कागज़ हूँ मैं,
और तुम उसपे उकेरिजाने वाली कहानी,
जो पूर्णतः तुम्ही लिखोगी, हमारी जुबानी ।।
पन्नो के बीच का गोंद हो तुम,
जिसके बिना कहाँ मेरा वजूद कोई,
अक्षर भी उलझ जाया करते हैं,
लडखडाते जुबान से, जब नींद में हो कोई,
सो, तुम हो तो सुलझा सा हूँ,
नलके के एक शीतल धार सा हूँ,
ना हो तुम, तो छलकता एक जाम सा हूँ,
अनर्गल, चोट पर हुए दर्द का आभास सा हूँ ।।
आएंगी कई ऐसी परेशानियां,
जिंदगी नही कोई सुलझी दास्तान,
पर साथ मे जरूर खुशियों तक पहुंचाएंगे,
ऐसे हर कहानी को अंजाम तक लाएंगे,
हाँथ बस हमे थामे है रखना,
हमे कुछ और गीत साथ मे है गुनगुनाना,
मैं कुछ तान बनाऊंगा उन गीतों के,
तुम फिर यादों से मुझे, हमारी कहानी सुनाना ।।

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4 MAR 2021 AT 18:06

कितनों की शादियों में,
नए कपड़े पहन पार्टी का लुफ्त उठाया है,
कितने लड़के लड़कियों को,
एक दूसरे का हाँथ थामते देखा है,
नए तरीके से, नई जिंदगी,
और नए छोर से डोर बांधते देखा है,
पर आज इस दिन का,
एक अलग मायना मालूम पड़ता है,
तुम्हारे मेरी जिंदगी में आने से,
अब हमारे सा अहसास होता है,
अब ना तुम अलग हो मुझसे,
ना मैं अब जुदा तुमसे ...

आज कितने सारे लोग आए,
सारे के सारे इस रास्ते से गुजर चुके हैं,
और सब ने खुसी से आशीर्वाद दिया हमको,
तो इत्मिनान रखना,
हुम हर मोड़ जिंदगी का मस्ती में गुजारेंगे,
हाँथ थाम एक दूसरे का,
पूरी जिंदगी साथ निभाएंगे,
आशाएं और आशाओं के साथ विश्वास,
बस इतना हो तो सब खुसी खुसी बिता लेंगे ।।

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8 FEB 2021 AT 1:38

तू मिली तो ऐसा लगा,
जैसे हमे बनाया हो खुदा ने,
बस एक दूसरे के वास्ते,
तू ही है , मेरे हर सवाल का जवाब,
एक तू ही जो जानती है,
मेरा हर पहलू,
माँ की ममता है जिसमे,
और पापा सा यार,
बेहेन सा लड़कपण है,
तो भाई सा ध्यान,
तो क्या ही ढूंढू किसी और को,
तू ही अब मेरा सार,
मेरे अधूरेपन का पूरक है तू,
मेरे अनाधार का आधार,
मेरे अंधेरे घर की रौशनी,
और मेरे प्यार का है तू सार,
सही में, एक ही मिट्टी से बनाया है,
एक सा डाला है व्येव्हार,
ऊपर वाले ने तराशा है हम दोनो को,
जैसे जानते थे अपने इश्क़ का ऐसा होगा हाल।
लव यू जान,
जिंदगी जीना है अब बस तेरे नाल।।

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