Prakash Galakoti  
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Hr Hr Mahadev.......
Joined 19 February 2019


Hr Hr Mahadev.......
Joined 19 February 2019
28 JUN 2022 AT 23:52

मेरे वजूद में काश तू उतर जाए,

मैं देखूं आइना और तू नजर आये,

तू हो सामने और वक्त ठहर जाए,

और तुझे देखते हुए जिंदगी गुज़र जाए....!

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20 APR 2022 AT 22:17

असल में
जाते समय -- अभी आता हूँ... कहना
उन्हें दिलासा देना होता है
जो हर पल इस कश्मकश में रहते हैं
कि शायद इस बार भी हम लौट आएँगे
कि शायद इस बार हम नहीं लौट पाएँगे...!

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23 MAR 2022 AT 16:52

डरो मत! भयभीत न होओ!
जीवन के किसी भी अनुभव से
कभी भयभीत मत होना।
क्योंकि जो भी भयभीत हो जाता है,
वह पक नहीं पाता,
वह समृद्ध नहीं हो पाता।
जीवन के सब रंग भोगो।
जीवन के सब ढंग जीओ।
जीवन के सारे आयाम
तुम्हारे परिचित होने चाहिए।
बुरा भी जानो,
भला भी जानो।
रातें भी और दिन भी।
बहार भी और पतझार भी।
और यही तो कठिनाई है कि
इतने थपेड़े झेलने को लोग राजी नहीं।
क्या कठिनाई है?
यही कि तूफान झेलने पड़ते हैं।
खड्डों में गिरना पड़ता है।
बहुत-बहुत बार भूल-चूकें करनी होती हैं।
बहुत-बहुत बार पछताना होता है।
सारे पश्चाताप,
भूलें, भ्रांतियाँ,
इन सबकी अग्नि में गुजर कर ही
तुम्हारा सोना कुंदन बनेगा.....❤

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4 MAR 2022 AT 11:59

क्यूं ना थोड़ा अलग "प्रेम" करें...🥀

एक-दूसरे की चाह न करके,
एक-दूसरे की प्रतीक्षा करे..!

एक-दूसरे पर अधिकार न जताकर
एक-दूसरे को स्वतंत्र करें..!

एक-दूसरे के हमसफ़र न बन कर,
एक-दूसरे का सफ़र में साथ दें..!

एक-दूसरे को किसी रिश्तें में न बांधकर,
एक-दूसरे को हर रिश्तें से आजाद करें..!

एक-दूसरे को ख़ुशी की सलाह न देकर,
एक-दूसरे की ख़ुशी की वजह बने..!

एक-दूसरे के राजदार न बनकर,
एक-दूसरे के सलाहकार बने..!

एक-दूसरे की समझदारी को भूल कर,
एक-दूसरे की नादानियों से बात करें..!

क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें..!🌹

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23 FEB 2022 AT 23:08



मैं शब्द-शब्द लिखता हूँ तुम छंद-छंद बन जाती हो,

नैनो के मधुर निमंत्रण पर तुम मंद-मंद मुस्काती हो.🌹

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22 FEB 2022 AT 0:04


है ये रूह से रूह का नाता...
जिस्म इसे कहा समझ पाता है...!
रहा ना जाये जब किसी के बिन,
उन तन्हाई भरे लम्हो में,
नैनो से खामोश गिरते उस झरने में,
डूब जाता है जब ये दिल...!
अपने ही बिम्ब से अनभिज्ञ
एक दर्पण में ख़ुद ही को ख़ुद ही में
ढूँढता, जूझता हुआ,
कौन समझ पाता है....!!

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14 SEP 2021 AT 22:46

पुरुषों को भी चाहिए होता है,
छोटी छोटी बातों से दिखने वाला लाड़-प्यार,
उदास होने की थोड़ी सी आज़ादी...!
एक अटूट विश्वास भरा कांधा सर रखने के लिए,
और देर तक उनकी खामोशी का कोई साथी...!

पुरुषों में भी रहती है,
एक उपेक्षित स्त्री..!

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11 SEP 2021 AT 13:05


सच को हमने सच ही कहा और
जब कह दिया तो कह दिया
अब जमाने कि नजर में
ये हिमाकत है तो है!

कब किससे मैने कहा कि
तुम मिल जाओ मुझको
पर तुम्हारी बाहों में दम निकले
इतनी हसरत है तो है!

जल गये परवाने तो
उसमें समां की क्या खता
यू रात भर जलना जलाना
हमारी किस्मत है तो है!

तुम साथ हो एहसासों में
तभी तो जिन्दा हुँ मै
मेरी इन साँसो को
तुम्हारी जरूरत है तो है!

मैने कब कहा कि
तुम मिल जाओ मुझको
पर गैर न हो जाओ
इतनी हसरत है तो है...!!

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23 MAY 2021 AT 23:06

हर शाम-ऐ-महफ़िल में,
सुकून को महफूज़ कर लेते है,,

जब भी तन्हा होते है,
तुम्हे महसूस कर लेते है......!!

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8 MAY 2021 AT 15:02

बस इतनी सी मोहब्बत
समझ नहीं पा रहा हूं
कि तुम्हें भुला रहा हूं
या तुझे याद कर रहा हूं!

कुछ ऐसा हाल मेरा है
समझ नहीं पा रहा हूं
कि तू मुझे दिख रही है
या मैं तुम्हें देख रहा हूं!!

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