Pragati Upadhyay   (राहत)
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Joined 3 July 2020


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Joined 3 July 2020
21 DEC 2020 AT 13:18

राज्य एक अवधारणा है
भू-भाग के विस्तार की
सरकार के अधिकार की
जनता के सहकार की

राष्ट्र एक भावना है
सर्वधर्म सम्भाव की
संस्कृतियों के जुड़ाव की
विश्वास और सद्भाव की

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13 DEC 2020 AT 12:43



बंदिशें मोहब्बत में आजमातें रहें हैं जो हरदम
खुद के ही कफ़स मैं कैद उनका नाम गुम जाएगा

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18 DEC 2020 AT 15:21

मुख़्तलिफ़ है मोहब्बत और नफरत की इंतहा
एक मिटना जानती है, एक मिटाना जानती है

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5 DEC 2020 AT 11:53

जैसे ही यह शाम वादियों में ढलती होगी
तुमको मेरी कमी तब जरूर खलती होगी

भले ही हो गए हो तुम महफिलों के आदी
मगर दिल में कहीं तो तन्हाई पलती होगी

चांद दरीचे पर जब भी उतर आता होगा
रातें आंखों में ही करवटें बदलती होंगी

तुम्हारी यादों में लिखी नज्मों का असर ऐसा है
मेरे लफ्जों की नमी तुम्हारी आंखों में भी जलती होगी


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1 DEC 2020 AT 19:26

ठहरी हुई नदियों पर
ना जाने किसके निशान हैं
गर्म रेत के टीलों पर
ना जाने किस के मकान हैं
सूरज दिनभर जलकर
आसमान में छिप जाता है
रात अंधेरा बुझ कर
नई सुबह में घुल जाता है
वक्त का पहरा घेरे है
इस सांसारिक वितान को
झुठलाती हैं ये घटती घटनाएं
हर भौतिक पहचान को

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27 NOV 2020 AT 19:54

ईश्वर को स्वीकारना या नकारना
हमारे संस्कारों से पोषित होता है
अपनी पृष्ठभूमि के अनुसार
हम बना लेते हैं ईश्वर की अवधारणा
इस अवधारणा का प्रतिपादन हम
पूर्वाग्रहों से युक्त होकर करते हैं
अपनी रूचि के मुताबिक ईश्वर को
सृजित या विनष्ट करते रहते हैं
परंतु ईश्वर तो वह यथार्थ है
जिसका अन्वेषण केवल तभी संभव है
जब सभी विचारों का समापन हो जाता है

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24 NOV 2020 AT 15:24

मन उद्दीपन का वह स्वरूप है
जो ज्ञात-अज्ञात में भटकता रहता है
ज्ञात को पकड़ना
हमारे अनुभवों से सिद्ध हो सकता है
परंतु अज्ञात को पकड़ना,
अज्ञात में ही भटकने के समान है
मन फिर भी खोजता है अज्ञात को
यह हमारे मन की,
मौन और रिक्तता पर विजय का आह्वान है

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20 NOV 2020 AT 10:53

मेरी सांसों में जो बाकी है तेरे नाम की रवानी
बस यही है मेरे वजूद की अब आखिरी निशानी

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13 NOV 2020 AT 15:24

ए ख़ुदा फिर से मेरी तकदीर लिख दे
हाथों में मेरे इश्क़ की ताबीर लिख दे

जिंदगी के फलसफे चाहे अधूरे ही रहें
मौत की मुकम्मल मगर तस्वीर लिख दे

जख़्म बेवफ़ाई के मुझे शादमानी ही लगें
हर बज्म़ में मेरी यही तहरीर लिख दे

इश्क़ में हारकर 'राहत' जो टूटा नहीं कभी
इस पन्ने पे उसके नाम इक नज़ीर लिख दे

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12 NOV 2020 AT 11:38

इक लम्हा-ए-मुख़्तसर मेरी आंखों से मिला दे
ताउम्र तेरे ख्यालों में जिंदा रहेंगे हम

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