कहां हो तुम??
बताओ किस डगर,किस पहर ढूंढू तुम्हे ??
सुना है,बड़े कमाल के हो तुम,
ठंडे झरने से हो तुम,
पीपल की छांव से हो तुम।।
लहराती फसलों में हो तुम ।।
ये सब अब कहां मिलते है,
क्या?? इनकी भांति तुम भी विलुप्त हो गए हो।।
सोचती हूं तो ज़िन्दगी की इस भागदौड़ में,
एक दफा तुमसे रूबरू हुई हूं,
बच्चे की अथाह,निश्चल दंदुतित मुस्कान में।।
इसके अलावा बताओ ,
सुकून कहां हो तुम??
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