इक रोज कहीं खो जाऊ मैं, मुझे ढूंढ तो पाओगे ना तुम।
जो ना कह सका कभी किसी से मैं,मेरे जज्बात समझ तो पाओगे ना तुम।
अंधेरा पसरा है चारों तरफ मेरे,रोशनी बन उम्मीद तो जगा पाओगे ना तुम।
नहीं समझ पाता दुनिया की बड़ी बड़ी बातें मैं, दोस्त बन राह तो दिखा पाओगे ना तुम।
थक जाऊ जो कभी दुनियां से लड़ते लड़ते, दो चार कदम ज़िन्दगी में साथ तो चल पाओगे ना तुम।।
-