उसके शहर से जो भी आए उदास आता है
वो साथ नही आता तो क्यों इतना पास आता है
आते है बहुत से परिंदे जंगल से शहर की तरफ
सुकून जंगल का मगर कहाँ उनके साथ आता है
आई है मेरी खामोशी में आवाज़ चीख की
मेरे अंदर का आदमी बात करना चाहता है
कदमो के तले रखी है किसी के हमारी सांसें
वो जब कदम उठाता है तो हमे सांस आता है
मोहब्बत आती नही अकेली कभी कही भी
उससे लिपटा हुआ हर दफा अज़ाब आता है
गुलाब अपनी ही खुश्बू से सूख रहे होते है
मुझे जाने क्यों वो ख्वाब इतना खराब आता है
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