पैकर अली666  
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Joined 12 April 2018


Joined 12 April 2018
10 DEC 2020 AT 18:30

ख़ुद को बड़ा जो शनावर कहते हैं
ज़रा उनके चश्मों से बच के दिखाएँ

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5 DEC 2020 AT 14:09

बस इसलिए ता-उम्र ग़मों को गले लगाए रहे
के किसी रोज़ तो आके तुम हमें गले लगाओगे




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4 DEC 2020 AT 12:16

मोहब्बत-वोहब्बत नहीं जानते हैं
बस उनके शेर मुँह-ज़बानी याद हैं हमें

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3 DEC 2020 AT 15:32

मैं हर पल तेरे नज़दीक तेरे साथ ही था
फिर भी तेरे दिल में है क्या ये न जान सका

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2 DEC 2020 AT 12:46

विस्तृत नील गगन
देख रहा है
स्तब्ध होकर
धरित्री का वो चंद्रमा
जो बिखेर रहा है
अपनी मुस्कान से
चारों ओर ज्योत्स्ना
और दिन भर के
अथक प्रयास के बाद
जब नहीं पहुँच पाता
है उस चंद्रमा के पास
तो ओढ़ लेता उसका मन
कालिमा की चादर
किंतु अगले दिवस
फिर उठ पड़ता है
इस आशा में कि
संभवतः आज मिल जाए
उस शशि का सान्निध्य।।


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11 JUL 2020 AT 15:45

हूँ नींद के आग़ोश में,यूं क्या निहार रहे हो
रोज़ देखते हो और रोज़ दिल हार रहे हो

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25 NOV 2020 AT 15:36

दिल के फ्रेम से तेरी तस्वीर हटाई नहीं जाती
इस दिल में कोई और मूरत बसाई नहीं जाती

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12 NOV 2020 AT 11:17

मेरे यक़ीन को तू यूं न तार - तार कर
मेरी जां ज़रा सा तो मुझपे ए'तिबार कर
तुझे करना है तो कर हक़ अदा इस रिश्ते का
वरना हो जुदा और मुआमला ये आर-पार कर

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6 NOV 2020 AT 15:58

बारान-ए-रहमत हुई नहीं अब तक
इन सजदों में कहीं कोई कमी रह गई

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5 NOV 2020 AT 20:16

ज़िंदगी में छाई है तारीकी बरसों से

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