"बिखरा हूं टूट कर ना कोई आस बची है,जीने की वज़ह अब ना कोई खास बची है,मुंतज़िर हूं कि देख लू तुझे एक और मर्तबा,सीने में कैद आखिरी कुछ सांस बची है।" -
"बिखरा हूं टूट कर ना कोई आस बची है,जीने की वज़ह अब ना कोई खास बची है,मुंतज़िर हूं कि देख लू तुझे एक और मर्तबा,सीने में कैद आखिरी कुछ सांस बची है।"
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"आंखो से छलका सैलाब ए समंदर कैसा,तेरे इरादों में दिखा फरेबी मंजर कैसा,ऐ जान ए दुश्मन तुम मुझे जान कहती हो,तो बता की तेरे हाथो में छुपा ये खंजर कैसा।" -
"आंखो से छलका सैलाब ए समंदर कैसा,तेरे इरादों में दिखा फरेबी मंजर कैसा,ऐ जान ए दुश्मन तुम मुझे जान कहती हो,तो बता की तेरे हाथो में छुपा ये खंजर कैसा।"
"मेरी बातों में खामियों का फसाना ढूंढ लेती है, शातिर है, दूर जाने का बहाना ढूंढ लेती है।" -
"मेरी बातों में खामियों का फसाना ढूंढ लेती है, शातिर है, दूर जाने का बहाना ढूंढ लेती है।"
"ख़सारे में डूबा है हर खरीदार यहां,बाज़ार ए इश्क़ में कभी मुनाफ़ा नहीं होता।" -
"ख़सारे में डूबा है हर खरीदार यहां,बाज़ार ए इश्क़ में कभी मुनाफ़ा नहीं होता।"
*कर्मा* हमारे कर्मों का परिमाण ही भविष्य का परिणाम है। -
*कर्मा* हमारे कर्मों का परिमाण ही भविष्य का परिणाम है।
कभी शोरगुल मचाए दौड़ता था मेरा शहर,आज ख़ामोश बैठा खिड़कियों से झांकता है। -
कभी शोरगुल मचाए दौड़ता था मेरा शहर,आज ख़ामोश बैठा खिड़कियों से झांकता है।
बड़े सलीके से उसने दिल पे वार किया पहले प्यार किया फिर दरकिनार किया। -
बड़े सलीके से उसने दिल पे वार किया पहले प्यार किया फिर दरकिनार किया।
"आजाद मुल्क का स्वप्न लिए,वह देशभक्त अभिमानी था।देश प्रेम में वशीभूत,वो वीर पुत्र सेनानी था।आजाद नाम आज़ाद सोच,वो क्रांतिकार बलिदानी था।" -
"आजाद मुल्क का स्वप्न लिए,वह देशभक्त अभिमानी था।देश प्रेम में वशीभूत,वो वीर पुत्र सेनानी था।आजाद नाम आज़ाद सोच,वो क्रांतिकार बलिदानी था।"
"मधुकर सा हुआ स्वभाव तेरा,पुष्पों का रस तू गटक रहा। मन में अति भोग विलास लिए,कलियों पर दर दर भटक रहा।" -
"मधुकर सा हुआ स्वभाव तेरा,पुष्पों का रस तू गटक रहा। मन में अति भोग विलास लिए,कलियों पर दर दर भटक रहा।"
"उसकी मुलाकातों का सिलसिला तो आज भी जारी है,फ़र्क बस इतना सा है कल हम थे तो आज कोई और।" -
"उसकी मुलाकातों का सिलसिला तो आज भी जारी है,फ़र्क बस इतना सा है कल हम थे तो आज कोई और।"