पतझड़, बर्फ, बारिश, धूप
हर मौसम का हर एक सूकुन
मुझे तुम सा लगता है।
एक तेरा ही ख़याल है
जो मेरी तन्हाइयों से उलझता है।
सर्द बर्फ न गिरे भले
सर्द में वो बादल तो बरसता है
कुछ ऐसे ही तुम्हारा एहसास
आज भी मुझमें ठहरता है।
कुछ ख़ामोशियां जिन्हें
घंटों भरी बातें बन उड़ना है
कुछ भींगी सी सड़कें हैं
जिन्हें एक राह बनकर जुड़ना है
सुनो मुझे तुमसे फिर मिलना है।।
"नूपुर राज़"
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