Nitish Upadhyay   (नितिश ऊपाध्याय)
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मेरा ख्वाब - मेरी कामयाबी
Software engineer
Joined 8 June 2018


मेरा ख्वाब - मेरी कामयाबी
Software engineer
Joined 8 June 2018
4 APR AT 1:13

मै भी कर जाता समुन्दर को पार दरिया समझ कर
बस एक दरिया ने रोका जो समुन्दर उनकी आँखो मे है
मै भी गुलदस्ते लेकर निकल जाता ईमान बेचने..
पर उस गुलाब का क्या जो उनके हाथों मे है

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1 APR AT 2:59

इतने अक्स तो चाँद को भी नज़र आये होंगे
उसने अमावस रखी धरती पर रौशनी देखने के लिए..
शायर रखता है कैद कुदरत को अपनी मुहब्बत मे !!
वो एक साया बन भी गया तो अंत आखिर जलना सूरज के लिए..

मेरे तुम्हारे बीच रह जाये आवाज़ तो बस साँसों की..
मै इससे ज्यादा दुनियादारी नहीं रखता
मोहब्बत मे हलाला हराम होता है
मैं सब कुछ चाहता हु बगैर उसके खुद को भी नहीं रखता

कोई खिड़की ही जानती होगी मेरे दिल मे छिपे इस गर्दिश को..
दिल मे जो कुछ भी हो आँखो से साफ नज़र आता है
हम समझाने मे लग जाते है उन दो जहानो को..
वो जिनमे हम ही ना हो तो उनको भी कौन नज़र आता है

कुछ कर्मो से हासिल तो नहीं किया जा सकता..
कर्म मे दान हो तो ये भी झूठलाया नहीं जा सकता
मुझे उसकी आदते याद है , वो चेहरा याद है
मै पढ़ कितने भी साये लू , वो इंसान मुझसे कभी भुलाया नहीं जा सकता

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14 MAR AT 1:56

किसी ने नहीं कहाँ था कि तुम आवाजाही करो
दिल मे जो भी है , आँखो से साफ नज़र आता था
कोरे कागज़ो से भी तो पूछ कर मालुम करो
जो इंतज़ार मे जल गए , चेहरा उनका भी हसीन नज़र आता था

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18 FEB AT 23:42

तुम्हारी तलब से आखिर समझौता मंजूर मुझे ..
मगर तुम्हारी ज़रुरत मेरी ज़िन्दगी मे कोई और नहीं ले सकता

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10 FEB AT 7:30

मिलन-जुदाई लिखा है रब ने जीवन के मेले मे..
वरना वो जो आँखो से नहीं उतरता , वो दिल से कैसे उतरेगा

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9 FEB AT 23:21

नौबत ऐसी क्यूँ नहीं आती कि हम ही ख़त्म हो जाये
और आती भी है तो जान निकल ही जाती है
वो जहाँ सिर्फ दिल लगे दिमाग ना लगने पर..
वहाँ कोई सिर्फ दिमाग लगाए तो गुस्सा आती है

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4 FEB AT 23:44

I don't want to be a part of this world ,
where being kind , being helpful , being generous to humans or animals is a weakness..

(Letter to God)

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14 JAN AT 10:42

ये गवारा कहाँ कि कोई और उसकी ज़िन्दगी से राब्ता करें
मै कहता हु अगर मै पसंद नहीं तो मुझे जुदा करें..

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13 JAN AT 21:06

इन बुनियादो का क्या , ये तो हिलते रहते है
वो कभी सच आँखो मे लेकर मुँह से झूठ बोला करते रहते है

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7 JAN AT 23:35

हमें भी पता है और ये जग-जाहिर है
भला किसे इम्तेहान से गुजरना पड़ा है
हमेशा वक़्त की मार सहनी पडती है
और फिर दिल को भी उसके बिना रहना पड़ा है
.
काश के कभी निपट जाते सारे काम ऐसे ही
जैसे एक बार मे वो जुड़ा बना लेती है
उसे बे-परवाह भी छोड़कर परवाह हुई है
उससे जुदाई दिल को झक-झोर देती है
.
मुझे इन फ़ासलो से परे भी उसका इंतज़ार है
वो जिसका इंतज़ार घड़ी को भी रहता है
वो मेरे सामने नहीं होता मगर..
पता नहीं क्यूँ.. वही जैसे हर पल मेरे सामने रहता है

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