Rubina : Ek मृगतृष्णा...
आओ , धरती पर तुम्हे महताब से मिलाता हूँ
हैं इक लड़की संजीदा, उसके बारे में बताता हूँ..!
निग़ाहों से वो यार, वार करती है
मुस्कुराहट क़त्लेआम करती है
चाँद से मुखड़े के दीदार कैसे हो ,
जुल्फें उसकी घटा बनके रहती है
बचके रहना इनके मोहपाश से तुम
हैं सय्याद ,मगर सैद लगती है..
मिलता नही खुदा यूँ,बड़ी किस्मत लगती है
हो जाये जो दीदार इनके,ख़ुशनसीबी लगती है
हाँ,पढ़ता हूं जब इनको,मुझे इबादत सी लगती है
यूँ तो मुद्दतें बीती मिले इनसे ख़्वावो में भी
महक इनकी आज भी मेरी रूह में मिलती है..!
These lines for readers...😄
और सुनो! अगर मिलो पढ़ो तुम इनको जब भी
अदब से मिलना दुआ-सलाम करना, समझ गए ना
क्यू ! 😁या समझाने में इक और पंक्ति लगती है !!
#Gustakhimaaf🙏❤️💌
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