Nisarg thewa japuya gadya   (saru pawar)
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Joined 31 December 2021


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केहती हैं के अब तो खुल के जी
तोड दे कुछ कायदे
कुछ बंधन छोडदें..
अरमानों को दबेँ हूँए ,
कुछ नऐ पँख दे...
बहोत हूँआ मरमर के जीना..
अब तो दिलखोल के जीकर हैं
मरना...

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रंग विखुरले स्वातंत्र्याचे
स्वंच्छदी पाखरा हाक मारती विहारास
पंख पसरुनी घाल पाखरा
तु गवसनी आकाशास
भय कसले नको उरी
घेई ऊँच तू भरारी...
नाही अडचण ती ढगांची
नाही धग ती सुर्याची
घेरे घेरे पाखरा तू झेप
मोकळ्या आकाशी...

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सारे सोबत असुनही माझ नाही कुणी
लय आहेत आशिक पन लायक नाही कुणी

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ऐकायलाही शिकाव का ?

बोलायला लोकं आहेतच..

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इन व्याध -पंतगो के इश्क की मंजिल ही हैं तपिश
शमा तो जलतीही हैं जलनाही हैं उसका नसीब

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इन राहों पर सन्नाटोंसे दिल जम सा जाता हैं
आहट से परछाईकी थम सा जाता हैं

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ए पगली क्यों सज रहीं हैं
इन नकली गेहनों से
प्यार हैं मुझे तेरी
पवित्र सादगीसें
तु तो तराशा हूँआ हिरा
अपनेआप मेंही
तु गुलाब खिलाखिलासा
लाजवाब हैं..

तु धूँन बासुरीकी
तुही झरना चंचल
तु हवा नशिली
तुही बरसता बादल

तुही श्रीगार पुरा
बिन काजल..

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सुहानी, हमनें गठरी बांध ली हैं..
कुछ बोझ नहीं दिल पर
ना आत्मापर हमारी..
तैयारी पुरी...
exit की दुनिया सें
समझों कर ही ली हैं

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Mistry's for myself
Taking swing between
Dipretion and hopes
Roaring tigress some little time
And freezed soul
With all my dreams

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आधीअधुरी रेहगई चादर
ख्वाबों की जो बुनीथी
ओढके झूँटी मुस्कान
आज लाश बनके खडी थी

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