किसी और से खुद को इश्क़ करने नही दिया तेरी यादों से खुद को उबरने नही दिया अरे! भर के मिट गए सब घावों के निशां, पर तेरे दिये जख्मों को हमने भरने नही दिया।
ढूंढ़ो मत खुदा को तुम मंदिर और मस्जिद में जाकर वहाँ तो पाप और गुनाह करने वाले जाया करते हैं देखा है मैंने ख़ुदा को जाते मयखाने की तरफ, क्यूंकी मोहब्बत करने वाले तो आजकल मयखानों में आया करते हैं।
तुम्हे भी वो यादें कभी न कभी तो रुलाई होंगी रोज न सही कभी न कभी तो हमारी याद होगी भूख ,नींद से भी वास्ता भी टूटा ही होगा तो कभी न कभी वो यादें हंसते हंसते भी रुलाई होंगी