Ñìkhìl Raj  
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Joined 7 November 2019


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Joined 7 November 2019
13 APR AT 10:42

उसकी मेरी मोहब्बत में फर्क बस इतना है
उसे मैं पसंद होते हुए पसंद नहीं
क्योंकि मुझमें खामियां बहुत हैं
और मुझे वो‌ सारी खामियों के
बावजूद भी बहुत पसंद है।।

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27 MAR AT 1:34

हमने जिस आखिरी शख़्स को चाहा
उसके मन में भी खुद के लिए नफ़रत भर गए
अब इसे अपना उम्दा हूनर समझे
या खुदा का तोहफा, कुछ कह‌ नहीं सकते।।

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21 MAR AT 10:48

तुम्हे मुझसे जरा भी मोहब्बत नहीं
और मेरा प्यार बेतहाशा बढ़ता जा रहा है
दूर होने के लिए इतनी वजह काफी थी।।

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24 FEB AT 14:22

दूर होने से अगर एहसास ख़त्म हो जाते
तो न होता लोगों के सीने में दर्द न कभी आंखों में आंसू आते||

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2 FEB AT 18:58

न तुझे पाना चाहता हूँ
न खोना चहता हूँ
बस तेरे साथ हंसना
तेरे पास रोना चाहता हूँ
बस गया है तू ऐसे मेरे मन में
कि ताउम्र तेरी तस्वीरें संजोना चाहता हूँ
माना की मोती तू,मिलना तेरा‌ लाज़िम नहीं
मैं तुझे अपने सफ़र के धागे में पिरोना चाहता हूँ
है मालूम मुझे तुझे मैं कबूल नहीं
तू चाहे मैं ये चाहूँ ये मेरा असूल नहीं
लेकिन मगर हैं हज़ारों इस फ़साने में
मशला बस इतना हैल, कि तेरा ना हो कर
भी बस तेरा होना चाहता हूँ।।

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18 JAN AT 16:23

इश्क़ होने का एहसास
इश्क़ होने से भी बूरा होता है
बात ये तब पता चली
जब इश्क़‌ वाकई होने लगा
ना मुझे पड़ी थी इश्क़ की तब
ना‌ दिखा उसमें कुछ खास कभी
न जाने कब मेरा ये मन
दे बैठा उसे अपना सभी
अब द्वंद मची है दो अंगों में
है कौन गलत और कौन सही
अब हठ कोई करे जीते कोई
प्रेम है खत्म तो होगा नहीं।।

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27 OCT 2023 AT 10:28

भीड़ में जब खुद को अकेला पाया
तब जाना की क्या हूँ मैं
आसमान का सितारा नहीं
न किसी को दिखने वाला हवा हूँ मैं
दुनिया की हर ताल समझता चाल समझता
उनकी चालों पे चाल मैं चलता
फस उधेड़बुन इस दुनिया की
भूल गया हूँ खुद को हीं
है‌ नहीं समझ अब मुझको कि
जाने अब कहाँ हूँ मैं
मतलबी लोगों से मिलकर
हो गया मतलबी मैं भी ज्यादा हूँ
सफेद-काली इस दुनिया में मैं
कितने शतरंजों का प्यादा हूँ||

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29 JUN 2023 AT 15:22

जमीं ढूँढूं, आसमां ढूँढूं
या ढूँढूं ये जहां
अब तुम ही मुझमें रहे नही
खुद को ढूँढूं मैं‌ कहाँ...

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15 MAR 2023 AT 21:15

अपनों में कोई अपना कहाँ
सबके अपने मतलब हैं
रहना अकेला गुरूर नही है मजबूरी
कि नक़ाबी रिश्ते निभाना अब बेमतलब है||

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23 FEB 2023 AT 19:32

तुझे मांगना भी है
पर पाना नहीं
तुझे चाहना भी है
पर जताना नहीं
ये कैसी कशमकश में
फंसी है मोहब्बत
दूर रह भी नहीं सकते
पास आना भी नहीं. . .

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