Neeraj Siingh   (मन की राह@ Neeraj Siingh)
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Joined 11 April 2018


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23 APR AT 17:03

यूं तो सासें यूंही चलती है
जीने के लिए
पर जब जब तुझे देखता हूं
धड़कती हैं धड़कने तुझे जीने के
लिए , हैं कशिश ही कुछ और
उन आखों की , पीती है हर
शब अरसों से प्यासी मोहब्बत
को फिर से जीने के लिए

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13 MAR AT 23:43

हम सब ईश्वर से कुछ न कुछ मांगते है बचपन से बड़े होने के बीच में कहीं से एक वाक्य कान में आ पड़ा जब लोग कलेक्टर डॉक्टर या कोई ऐसा पद लेकर कहते थे की ये बनना तब समझ में नहीं आता था की ये बनने से क्या होगा पर एक सीधी साधारण से बात जरूर बार बार गूंजी की " एक अच्छा इंसान बनना " केवल इस आवाज ने वो सारे पद धूमिल कर दिए , तब से केवल एक यही सोच थी के एक अच्छा इंसान बन जाऊं , पर यह कोई एग्जाम देकर पास होने जैसा नहीं है यह तो हर रोज की तपस्या है इतना आसान नहीं होता है एक अच्छा इंसान बन जाना जहां तमाम दुनिया खड़ी है खराब होते हुए , जहां जरा सा मन ना बना तो लोग राय बदल देते है , पर ये अच्छा इंसान कैसा होता है मैं खुद भी देखना चाहता हूं !

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20 FEB AT 0:04

इश्क मासूम
मिले
ये मुश्किल हैं
जमाने में

दिल मासूम रखो
ये हुनर मत
सिखाना
जमाने को

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17 FEB AT 19:05

जो बस बची
हैं जिंदगी
ना कोई सवाल
रख

देखती है जितना
आखें दिल में
अब कहां बची है
जगह, मालूमात
के ना कोई सवाल रख

यूं तो जिंदा है सभी
ना कोई आवाज रख

देखा सोचा और इंतजार
बहुत किया है इसने
अब इसपर ना कोई
बवाल रख ना कोई
ख्याल रख ना कोई
सवाल रख

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21 JAN AT 11:52

मुद्धते बीत गई इक तेरे इंतजार में
ली गई हर सांस बस तेरे प्यार में
हर सांस का ऐतबार रहा तुम मिलोगे
धडकता हैं दिल तेरे इंतजार में
ना कह पाएंगे, की कैसे बीते वो
पल जब जपते थे तुझे लेकर चांद
सितारे गुलाब , और तकती अखियां
गिरते आंसू तेरे प्यार में , थी बस यही
हंसरत की तुम मिलोगे इक दिन
जो की मोहब्बत सदियों से बिन कहे तुझे
तेरे ही मयकशे यार में ,
मुद्धते बीत गई इक तेरे इंतजार में...

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12 JAN AT 23:30

राम मय है जग सब सारा
राम राम हर स्वांस सहारा
राम सवेरा राम ही सांझ
राम के सिवा कहां कोई काज
राम राम अयोध्या सज आई
बरसो बाद हैं शुभ घड़ी आई
राम विराजे हर मन मन में
प्राण प्रतिष्ठा हो हर कण कण में
राम राम हो ये जग सारा
राम नाम है जीवन सारा

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5 JAN AT 20:48

जो लिखता मैं अभिव्यक्ति अपने प्रेम की
तुम तरबतर हो जाती प्रेम रस के विभोर में
जो मैं लिखता...
प्रेम तुम्हे चंचल चकोर को ...
तुम प्रीत संग कहीं उड़ उड़ जाती
जो मैं लिखता...
प्रेम तुझे , हर रंग रस में तुम ही
इठलाती ,...
तुम ही इठलाती ....

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2 JAN AT 0:23

हृदय में बसा हुआ प्रेम
और ईश्वर में बसी हुई भक्ति
एक समान हैं बस उसके
ईष्ट अलग अलग हैं

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10 DEC 2023 AT 11:03

एक इश्क जो बचकाना होता हैं
जो नई नई कोपल सी उम्र में अंगड़ाई लेता है
एक इश्क वो जो जवाबदारियों भरा
नई जिंदगी संवारता हैं
एक इश्क वो जो उम्र दराज होकर सिर्फ सुकून
और खुद की अहमियत और प्रेम से भरा तवज्जो चाहता हैं
एक इश्क वो जो उम्र के अंतिम पडाव में केवल
पास बैठो और निहारना चाहता है

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9 DEC 2023 AT 23:14

प्रेम वो लौं हैं
जो बिन बाती
अनवरत जलती
रहती हैं बस
इसे जलाए रखने
वाले दिल पवित्र
चाहिए

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