विवेक ही भोजन बन जाए, इतना स्वार्थ भी न पालिए जीवन सरल हो जाए, इसलिए आस्था में रास्ता निकालिए। -
विवेक ही भोजन बन जाए, इतना स्वार्थ भी न पालिए जीवन सरल हो जाए, इसलिए आस्था में रास्ता निकालिए।
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नीम के फल भी मीठे लगते है ।मतलब अपना हो तो हर व्यक्ति में भगवान दिखते है । -
नीम के फल भी मीठे लगते है ।मतलब अपना हो तो हर व्यक्ति में भगवान दिखते है ।
लोग उस मंजिल को ही भूल जाते है।जिस मंजिल का रास्ता उन्हें ताउम्र याद रहता है । -
लोग उस मंजिल को ही भूल जाते है।जिस मंजिल का रास्ता उन्हें ताउम्र याद रहता है ।
परिंदो को "मैं" की हवा लगी ।मानो पंखों को आसमान में जंग लगी । -
परिंदो को "मैं" की हवा लगी ।मानो पंखों को आसमान में जंग लगी ।
पहाड़ सा विशाल झूठ हर आदमी के मुँह से निकल जाता है,लेकिन राई बराबर सत्य उसके गले में अटक जाता है। -
पहाड़ सा विशाल झूठ हर आदमी के मुँह से निकल जाता है,लेकिन राई बराबर सत्य उसके गले में अटक जाता है।
जो पढ़ेगा वही बढ़ेगा,वरना भीड़ का हिस्सा बनेगा। -
जो पढ़ेगा वही बढ़ेगा,वरना भीड़ का हिस्सा बनेगा।
चाय गर्म ☕ओंठ नरम 💋एक किस 😘 देने में क्या शरम🫣 -
चाय गर्म ☕ओंठ नरम 💋एक किस 😘 देने में क्या शरम🫣
{चरित्र का अर्थ है }"अपने मानवीय उत्तरदायित्वों का महत्त्व समझना और उसका हर कीमत पर निर्वाह करना” । -
{चरित्र का अर्थ है }"अपने मानवीय उत्तरदायित्वों का महत्त्व समझना और उसका हर कीमत पर निर्वाह करना” ।
ज़िंदगी की चाल को दिमाग़ से सोचने वालो,एक दिन तन्हा हो जाओगे भीड़ में चलने वालो। -
ज़िंदगी की चाल को दिमाग़ से सोचने वालो,एक दिन तन्हा हो जाओगे भीड़ में चलने वालो।
सत्य की परिकाष्ठा से देश और परिवार बनता है ।जी हजूरी से दफ़्तर के नौकर का वेतन बनता है ।। -
सत्य की परिकाष्ठा से देश और परिवार बनता है ।जी हजूरी से दफ़्तर के नौकर का वेतन बनता है ।।