Neelu Kumari   (Neelu k.)
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Joined 16 December 2017


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20 HOURS AGO

नर्क में 🥳😆

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30 APR AT 18:08

मुझे जाना पड़ा

जुदाई सज़ा थी, बताना पड़ा,
मुझे ज़ख्म गहरा, दिखाना पड़ा।

तड़पता उसे छोड़, जाना पड़ा,
ख़ता थी नहीं, पर छुपाना पड़ा।

उसे ये लगा, मैं समझती नहीं,
मुझे भी मिला ग़म, जताना पड़ा।

वो वादें वफ़ा, मैं निभा ना सकी,
वो नाता, जन्मों का, भुलाना पड़ा।

दुआ मांगता था, खुशी की मेरी,
मुझे दिल उसी का, दुखाना पड़ा।

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30 APR AT 11:38

बढ़ते फ़ासले

कैसी ये दुनिया बसने लगी है,
अपने हैं, पर अपनेपन को तरसने लगी है।

मन की बातें अब बांटी नहीं जाती,
घर की दीवारें सब बताने लगी है।

खुशियां, मन की दूरियों में खोने लगी है,
ईंटें अब दीवारों से जो छिटकने लगी हैं।

एक पीढ़ी अनुभव लिए खड़ी है,
दूसरी पीढ़ी ज्ञान की खोज में लगी है।

जिस सोच ने एक पीढ़ी को आगे बढ़ाया,
सोच वही अब बहुत पुरानी लगने लगी है।

सामंजस्य इनके विचारों का मुश्किल है,
मतभेद से सब कुछ बांटने लगी है।

बोझ बनते जा रहे हैं रिश्तें जब से,
मजबूरियां रिश्तें निभाने लगी हैं।

रिश्तें भी उलझे, मन भी उलझा हुआ है,
ज़िन्दगी फ़ासलों में सिमटने लगी है।

सोचो हम क्या खो रहे है, क्या पा रहे हैं
ज़िन्दगी बीतें पल, क्या हमें लौटाने लगी है?

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29 APR AT 15:12

रोशनी को आने दो इस तहखाने में,
ख़ामोशियों का शोर है वीराने में।

क्या ख़ुदा ने तन्हाई हीं भेजी है मेरा आशियाना सजाने के लिए!

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29 APR AT 13:01

एक ख़त है, जो रखा है मेरे सिरहाने में,
बन बैठा है ख़ुदा, दो दिलों को मिलाने‌ में।

तुम्हारी खट्टी-मीठी बातों को दोहराने में,
यादों को मज़ा आता है मुझे तड़पाने में।

मेरे दिल को कहां कभी बैर था किसी से,
सब ने एक कसर न छोड़ी आज़माने में।

कितना कुछ लिखा होगा, फिर मिटाया होगा,
एक उम्र लगी होगी, दिल को समझाने में।

फ़कत ख़त होता तो रख देती उसको किताबों में,
देखों, इश्क़ सांसें ले रहा है दिल के वीराने में।

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28 APR AT 14:41

दिल में जिसकी ममता और करूणा बसती है,
सूरत से ज्यादा, सीरत से उसकी खूबसूरती है।

उसकी भावना हीं उसकी प्रार्थना, उसकी भक्ती है।
जो है अंश उस ईश्वर का, उसमें भी वही शक्ति है।

रंगीन पुष्पों, वृक्षों नदियों से संवारती है,
ये धरती अपनी खूबसूरती, प्रकृति में निहारती है।

जो भी बिगड़ा है प्रकृति हीं उसे सुधारती है।
कर्मों का पाठ पढ़ा कर उसको निखारती है।।

सादगी है खूबसूरती, भोलापन है खूबसूरती।
सच्चा दिल है, इंसानों में इंसान की खूबसूरती।

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28 APR AT 13:35

तुम्हें अपना सबकुछ नहीं, ख़ुद को हीं खोना होगा।
ऊंचा है मुकाम इश्क़ का, तुम्हें ख़ुद इश्क़ होना होगा।


कैसे मानूं कि हमेशा मेरे रहोगे, तुम्हारी वफ़ा सच्ची रहेगी,
अंजाम तो वही होगा, जो अपनी क़िस्मत ने लिखा होगा।


तुम ने देखा है जिस चेहरे को वो अक्सर नक़ाब में रहता है,
टूटा है वहम और दिल साथ में, तुम ने उसे पूरा न पढ़ा होगा।


दिल का आशियां उजड़ता है तो तकलीफ़ बहुत होती है,
मैंने घर बार छोड़ा है, तुम्हें भी मुसाफ़िर होना होगा।

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27 APR AT 18:54

तुम साथ हो ऐसे, जैसे कोई सहारा होता है।
नदियों से दूर कब, किनारा होता है।

एक दूसरे की खुशबू से पहचाने जाते है हम,
ऐसा असर, एक दूसरे पर, हमारा होता है।

इश्क़ एक रोग है, सबको एक बार हीं होता है।
मेरे किताबों से निकला हर ख़त तुम्हारा होता है।।

नादानी में न तोड़ देना किसी का गुरूर-ए-इश्क,
इसने बड़ी मुश्किलों से आशिकों को संवारा होता है।

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27 APR AT 13:39

याद आ गया कुछ भूली बिसरी यादों में।
अक़्स बाकी है अब भी पीछा करते सवालों में।
कितना फर्क था उसके वादों और इरादों में!

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27 APR AT 0:40

Dear देवदास,
तुम इतना दारू न पिया करो

तुम दारू पी कर टल्ली हो जाते हो,
लगता है दर्पण में ख़ुद को हीं
देख कर डर जाते हो।
मेरी मानो, दर्पण सारे हटा दो घर के।
अच्छा नहीं यूं रहना डर डर के।
पारो के ग़म में मत रहो,
वो चल गई घर पिया के!😄😆

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