Nazar Biswas   (नज़र 🐾)
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Joined 16 October 2020


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5 MAR AT 18:56

रखकर तेरे सीने पे सर अपना तेरी धड़कनों को सुनतें हैं
धड़कनों से तेरी सुकूँ-ए-काशाना गुलशन है मेरा

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4 MAR AT 20:07

चाहत से भरपूर ये दिल बस दिलबर पर मरता है
उसके लिए क्या कर जाऊँ,ये बस सोचा करता है

एक फूल गुलाब का देकर सोचा इज़हार ही करदें
उस गुलाब के मुखड़े का इस बहाने दीदार ही करलें

पाना उसको मकसद नहीं, बस उसका हो जाना है
हर साँस समाहित उसमें हो, सपना उसका सजाना है

हर रोज़ जिसपर मरता हूँ, उसी की ख़ातिर मर जाऊँ
जाते जाते भी ज़र्रा ज़र्रा उस जाँ को कुर्बान कर जाऊँ

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4 MAR AT 19:44

रिश्तों की कड़वाहट से अब सहम से गए हैं
कहतें थें जिन्हें अपना उनके ज़हन से गए हैं

अपनों के चेहरों में निहां हैवानों का पहरा है
दामन भी न छुड़ा सकतें,रिश्ता कुछ गहरा है

इस ख़ामोशी की वजह क्या बतायें जहान को
अपनों से ठगें गए, न समझें नासाज़ ईमान को

आँखों से आँसू नहीं उम्मीदें बहाया करतीं हूँ
मैं बीते हुए कल की बातें आज सुनाया करती हूँ

कभी ग़ुरूर कभी दौलत कभी शोहरत कभी नफ़रत
फ़िराक़ की वजह यही,अब यही है उनकी फ़ितरत

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20 OCT 2023 AT 22:10

जाना तो था उस ओर नहीं, ये क़दम वहीं क्यों जाते हैं
ठुकराये जाते हैं जिनसे, क्यों दिल को वहीं बस भाते हैं

क्या नाता तुझसे है मेरा, तू पास रहे ये चाहते हैं
तू पास जो आता है मेरे, ये नज़र तुझ ही से चुराते हैं

क़िस्मत को नामंज़ूर था संग, अब बैठ के अश्क़ बहाते हैं
तुझको कितना चाहा मैंने, अब तुझसे ही छुपाते हैं

तन्हाई में वो याद आते, जो दिल को बहुत दुखाते हैं
हमने चेहरा अब बदल लिया, सूरत भी तेरी बिसराते हैं

तू ही मेरा महबूब सनम, तेरी साँस में हम समाते हैं
गलियों से तेरे कहा अलविदा, अगले जनम की आस लगाते हैं

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9 SEP 2023 AT 19:38

अब मुमकिन नहीं सनम तेरे लिए मेरा प्यार पाना
ख़ाक में मिली उल्फ़त, गुज़र गया वो हंसी ज़माना

मुहब्बत का रेज़ा रेज़ा जो तुझपर मैंने लुटाया था
खाली हुआ क़ल्ब-ए-शहर जो तुझ संग बसाया

अब तू मुझमें रहता नहीं,फक़त टीस ही रहती है
दर्द मिला जो तुझसे सारा मैंने मुद्दतों में भुलाया

क़ैद हैं तेरी यादें अब भी पर बंद रहता है कमरा
चाभी से भी खुले नहीं ऐसा ख़ार पहरे में लगाया

मिस्मार हुआ दिल, चैन काफ़ूर, नाबूद रूह हुई
के जबसे इक नाआश्ना से प्यार भरा दिल लगाया

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2 SEP 2023 AT 21:02

तेरे काँधे पे रख सर मैं दुनिया भुला दूँ
मुहब्बत का तुझको मैं सारा सिला दूँ
आफ़्ताब तू,महताब तू मेरी फलक का
जगमगाहट से रौशन रखना मेरा जहाँ तू

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1 SEP 2023 AT 22:27

बस इक तेरी कमी है मेरे आँगन के त्योहार में
झलक तेरी हर ओर ही,बस नहीं मेरे संसार में

खरीदूँ मैं रंग कौन सा इन सजे धजे बाज़ारों से
तेरा जो मुझपर रंग चढ़ा वो रंग नहीं बाज़ार में

सूखा सूखा सब सावन बीता,सूखा मेरा मनवा
तेरे बिन क्या मज़ा भला इन मेघ और फ़ुहार में

मेरा सबकुछ लेले तू ही,ये जीवन भी निसार है
साँस साँस में बसता तू ही, तू हर मेरे पैग़ाम में

जाने से तेरे लगा मुझको जाने कैसा आज़ार है
आ जाओ कहीं गुज़रे न ये ज़िन्दगी इंतज़ार में

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1 SEP 2023 AT 19:43

सजा धजा है रूप मेरा, मैं लाल लाल ग़ुलाल सी
नैन पड़ेंगे जब तेरे,पिया खिल जाऊँगी गुलाब सी

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1 SEP 2023 AT 0:23

दूर तुमसे होकर ख़ुद से रूठे बैठें हैं
हम सहमे सहमे से आजकल रहतें हैं

कई ख़त लिखे,तम्हारी फ़िक्र रहती है
पन्नों संग ही अब तो दिन रात गुज़रते हैं

फूलों का मुझसे कुछ अंदाज़ मिलने लगा
वो भी मुझ जैसे अब मुरझाये रहतें हैं

दिल जो मेरे पास है अब धड़कता नहीं
तेरी कमी तेरी यादों से हरदम लड़तें हैं

अरसों के मसाफ़त दिल को छू रहें हैं
बादलों से ज़्यादा अब नैना बरसतें हैं

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25 FEB 2023 AT 17:59

जो मुँह खोले बड़बोली है, चुप रह ले तो संस्कारी
ये तमगा रखलो जग वालो, मुझे पड़े बड़ा भारी

चुप रहने को मजबूरी का अब तुम नाम न देना
जिगर तेरा पाषाणों वाला अब तू मोम न कहना

मुख बंद रखकर अन्यायी की हिम्मत क्यों बढाती हो
तेरी गर्जन से सब शैल हिले तुम काहे घबराती हो

ज़ुल्म-ओ-सितम सहने की आदत से रूहें कराहीं हैं
ऐसा हंसना और जीना क्या, ये तो गंभीर बीमारी है

हिम्मत तो टटोलो ख़ुद में वो तुझमें ही बाकी है
सौ रूप हैं तेरे और उनमें से एक दुर्गा काली हैं

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