वो वक्त जो साथ बाटा था हमने भी कभी, काश वो वक्त लोट कर फिर आ पाता कभी। वक्त कह कर मांगा किसी से तो क्या ही मांगा, जो अल्फाज़ नहीं समझ सकता जज़्बात क्या ही समझेगा कभी...।।
ये जो तुम मोहब्बत-मोहब्बत चिल्लाते फिरते हो, सच बताना.. दिल बहलाने के सिवा भी कुछ करते हो? यूं तो कई होंगे आशिक तुम्हारे..तुम्हारे ही शहर में, पर सच बताना.. कि मतलब की मोहब्बत कितनो से करते हो?
तेरे करीब आने से मैंने इतना जाना जो ना जान सकती थी कभी मैंने वो सब कुछ जाना तू आया तो एहसास करा गया अपने होने का मुझे तू आया करीब मेरे तो मैंने खुद को खुद से जाना