Naitik  
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Joined 9 April 2023


Joined 9 April 2023
20 APR AT 11:44

वीरानियों का शहर हूँ शायद आज भी,
खुद से दूर हूँ शायद आज भी,
लगी हैं ख्वाइशों की महफिलें हर जगह,
मैं चाहतों से दूर हूँ शायद आज भी।

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25 FEB AT 11:10

उनकी सादगी बिखरती जुल्फों में,
और भी सज-सवर जाती है।
वो जब भी बालों से बारिश गिरातीं हैं,
सुबह-सुबह जैसे चाँद बन जाती हैं।

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16 OCT 2023 AT 19:35

और तू रूबरू दिखाई दे।
धड़कन आहिस्ता से आवाज़ दे,
और तुझे,
शोर में भी इल्तिज़ा,
दिल की सुनाई दे....

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16 SEP 2023 AT 12:31

राहों से गुज़र कर आती हैं,
हवाएं तेरा एहसास लेकर,
कहती हैं वहां भी,
तेरे बगैर आलम उदास है।
किस्से तेरे ही हैं वहां ज़िक्र में,
तू भी वहां यादों में पास है।

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26 AUG 2023 AT 12:16

दिन परेशां,
रात हैरान है,
दुनियां ख्वाइशों में बिखरी है,
चाहतें अनजान हैं।
रौनक मसलों की है शहर में,
मोहब्बत जैसे सदियों से गुमनाम है।

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26 AUG 2023 AT 12:06

दूर होकर भी नज़दीकियां बेपनाह हैं,
यही हमारे रिश्ते की इन्तिहां है।

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26 AUG 2023 AT 12:03

सुबह सुबह सी नही लगती,
न दिन मिलता है मुझसे,
शामें भी चुप चुप ही रहती हैं,
जैसे खफा हों मुझसे।
रात रात सी नही लगती,
न नींदें मिलती हैं मुझसे,
आंखें भी जागी जागी ही रहती हैं
जैसे रूठी हो मुझसे,
तेरे बगैर खाली हैं ख्वाबों की दुनियाँ,
तन्हाई आ के , ऑंखों में, कहती है मुझसे।

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16 JUL 2023 AT 10:28

कलम भी तुम्हारी दीवानी हो गई है...

लिखाई में इसकी तुम नूरानी हो गई हो।

चाँद , तारों की तुम हसीन कहानी हो गई हो,

सुकून की तुम, बारिश, सुहानी हो गई हो।

आंखों की तुम, आरज़ू, रूहानी हो गई हो,

दिल की धड़कनों में धड़कती हो तुम,

इसकदर,

इन साँसों की तुम ज़िंदगानी हो गई हो।

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4 JUL 2023 AT 18:56

मेरी खाली कहानियों में किस्से तुम भरने लगे हो,
दूर तलक न था कोई मेरा, तुम हाँथ थाम कर सफर
करने लगे हो।
तन्हाई ही रहा करती थी मेरे साथ हर पल,
अब तुम गले लगा कर मुझे अपना करने लगे हो।
लिखाबटों में बिखरता था दर्द मेरा ,
अब तुम मोहब्बत की नज्मों में, सजने सवरने लगे हो।

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9 APR 2023 AT 11:15

पुरानी उदासियों को छोड़कर,
नई मुस्कुराहटों को यार बनाऊं मैं,
हसरतें गमों की दफ्न करूँ,
खुशियों के कारवां का,
मुसाफिर हो जाऊं मैं।
बांटू रौनके औरों के अंधेरों को,
इतना रोशन हो जाऊं मैं।
मंजिल की ख्वाइश न हो मुझे,
राही रास्तों का कहलाऊँ मैं।
मिले राहत दिल को फिर से,
नींद में रात का हो जाऊं मैं।
सुबह हो फिर से सुकूँ वाली,
फिर से उस जहाँ का हो जाऊं मैं।

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