Mukesh Sharma   (मुकेश शर्मा)
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Joined 7 July 2020


Joined 7 July 2020
29 JUL 2023 AT 9:14

सपने में जो हकीकत थी
वो हकीकत में सपना ही है।

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26 JUL 2023 AT 10:59

मेरा वक़्त और असफल अनुभव दोनों मिट्टी में खो गया
मैं ज़ब भीगते हुए बरसात में चुपके से रो गया।

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17 JUL 2023 AT 18:57

सपने रात के अच्छे कि सपने सुबह के अच्छे
मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता हूँ।
हो आँख खुली या बंद
मैं बस सपने देखना चाहता हूँ।

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17 JUL 2023 AT 18:53

मैं बेपरवाह हूँ
मेरी कहानी भी बेपरवाह है

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21 APR 2023 AT 9:16

पता नहीं कौन सी ख्वाहिशें सिखा रहीं है दुनियादारी
वरना मन तो मेरा कब का संन्यासी हो चला है।

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14 APR 2023 AT 8:36

मैंने सारे ही मौसम बदलते देखे
अपने कमरे की खिड़की के सामने बैठकर
आज मैं अपने मन से बाहर घूम क्या लिया
सारी दुनिया ही मुझे आवारा कहने लगीं।

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26 FEB 2023 AT 9:21

मेरी कहानियों का बस इतना सा संसार है
ख़ुद के अंदर ही ख़ूब बक बक कर लेता हूँ मैं
बाहर मेरी खामोशी का एक पन्ना उधार है।

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16 FEB 2023 AT 18:45

मेरे हर सवालों के जवाब
मेरी हकीकत, मेरे ख्वाबों को देती है
आँख खुली,
नींद के साथ, ख्वाब भी टूटे
मेरे पास तो बस, अब
उस रात की कहानी रहती है।

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10 FEB 2023 AT 21:21

कहानी बस सवालों की थीं
ज़बाँ किसी और की
पूछ कोई और रहा था।
कर सकता नहीं , कोई कुछ
फ़िर भी सोच सोच कर
एक दौर बीत रहा था।

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16 JAN 2023 AT 17:40

वो मुस्कुराहटें पसंद कराई जाती है
जो अकेले में आँसुओ से मुलाकातें करते हैं
अंदर ही अंदर बातों का लश्कर लिए
बाहर चुप रहने की दिखलावटे करते हैं।

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