आगे बढ़ चुके कुछ मुकाम,पीछे छूट गए कुछ निशान ।
कहीं आने वाले कल की खुशी, तो कहीं बीती यादों के आंसू।
बच कर चलते हैं सभी फिर भी छू जाती हैं जिंदगानियां कई,
उनके फैसलों का हक़ हमारा नहीं पर हर फैसले से जुड़ जाते हैं तार कई ।
वक्त थामने की कोशिश नहीं ये, बस तब्दीली से पहले की झुंझलाहट मानो ।
मैं बीती यादों को समेट लूंगा यहां, तुम अब आने वाले कल को संवारो ।
कहीं फिर मुलाक़ात होगी अब, नए ज़माने में, नए तौर तरीक़े से,फिर कुछ किस्से लिखेंगे , फिर कुछ यादें बनाएंगे ।
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