Monika Vashishtha   (Mona ki kalam se)
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Joined 19 June 2020


Joined 19 June 2020
10 MAY 2022 AT 16:15

एक वजह की ही तलाश रहती हैं
साथ निभाने वालों को भी और
साथ छोड़ने वालों को भी

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30 MAR 2022 AT 23:00

नाराजगी का फर्क तो बस उन्हें होता हैं
जिन्हे अपनों को खोने का डर हो...

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1 MAR 2022 AT 0:04

नजदीकियों ने तो खामियाँ ही देखी
खूबियाँ नज़र तो आयी
पर बहुत दूर जाने पर...

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24 JAN 2022 AT 23:17

कुछ लोग जख्म कुरेदते रहे,
कुछ नमक डालते रहे
हम भी जख्म सहने में शातिर निकले
लोग रुलाते रहे,
और हम सहन शक्ति का हुनर दिखाते रहे...

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11 JAN 2022 AT 23:25

बेहतर की तलाश करते करते
कुछ लोग बेहतरीन खो देते है...

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10 OCT 2021 AT 0:14

कुछ अनकहे, अनसुने शब्द लिखती हूँ मैं
क्या कोई इन्हे समझ पायेगा....
लिखने से पहले अंतरआत्मा झकझोरती हूँ मैं
क्या कोई इस ह्रदय पीड़ा को महसूस कर पायेगा....
कभी कभी आसुओं की स्याही से हाले जिंदगी लिखती हूँ मैं
क्या कोई इसे पढ़ समझ पायेगा.....
अपनी ख़ुशी को सभी के लिए संजोती हूँ मैं
क्या कोई मेरी ख़ुशी संजो पायेगा........
कभी कभी ना लिख ही पाती, ना ही बोल पाती
क्या कोई मेरी आँखो को पढ़ मेरे अरमानों को समझ पायेगा....

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20 SEP 2021 AT 10:06

अपेक्षा रखने वाले इंसान
अक्सर., रिश्ते निभाने मैं हार जाते हैं...

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7 SEP 2021 AT 0:43

वो जो सिमटी हुई यादों का सुरूर चढ़ता हैं
तभी अकेले रहने का नशा बढ़ता हैं
भीड़ भरी दुनियाँ मैं अकेलापन सा लगता हैं
ओर तब अकेलेपन का नशा बस अपना लगता हैं
बहुत सुकून मिलता हैं खुद से अकेले बात करने मैं
अकेलेपन का फितूर जब चढ़ता हैं
ज़रूरत किसी की भी नहीं होती तब-तब
जब-जब कम्बख्त इस अकेलेपन का नशा चढ़ता हैं !

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7 SEP 2021 AT 0:06

रखोगें शर्ते इश्क मैं,
मुझें पहले समझाना था,
तुम्हारी मोहब्बत की हदें क्या हैं
तुम्हें पहले बताना था....
इरादें कमजोर हो जायेंगे
मुझें एहसास दिलाना था
हमदर्द ना कभी बन पाओगे मेरे
तुम्हें पहले बताना था...
मेरे अपनेपन का तुम्हें
गलत ही इलज़ाम लगाना था
मुझें कभी समझ ही ना सकोगे
तुम्हें पहले बताना था....

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16 AUG 2021 AT 0:17

कभी कभी.....
ख्वाइशों के पर उड़ने लगते है
हमारे कुछ सपने हकीकत लगने लगते है..
कभी कभी...
हमें उम्मीदों से कुछ ज्यादा उम्मीद हो जाती हैं
सिमटी सी खुशियाँ चारों ओर बिखर जाती हैं
कभी कभी..
बेगाने भी अपनों से बढ़कर हो जाते हैं
अपनों से ज्यादा बेगाने दुख मैं साथ निभाते हैं
कभी कभी...
जब किसी को हर हाल मैं भूलना चाहे फिर भी
हर पल ख्याल मैं वही नज़र आते है
कभी कभी...
मान लो अपना किसी को भी कितना भी
बदलने वाले तो बिन बतायें बदल ही जाते हैं..

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