Monik Yadav   (मोनिक यादव❤️ प्रधानजी 💖)
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Joined 20 April 2019


Joined 20 April 2019
7 APR AT 23:10

सुणै है के....

देख यो है वो चूल्हा जिसके धोरै बैठकै तनै रोटी पोणी है
स्यामी बैठ जाया करूंगा तेरे, कति इस चूल्हे आगै
अर तू मेरी बाता म इसी खु ज्यागी
अक आधी रोटी बिना चोपड़े टिफ्फन म धर देगी
धुम्मा होता देखकै कहवैगी अक क्यूं धुम्मे म आंख फूड़ावै है
चाल म आपै पो लयूंगी, मैं उस दिन भी बस या ए बात कहूंगा
मेरी आंख्या न छोड़, सारा दोष तेरी इन आंख्या का है
जो मनै तेर त दूर हटण ए ना देती अर फेर एक दम मां की डांट पड़ेगी

"यो सारा इंधण आज ए फूकोगे के इस चूल्हे म दे दे"

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5 APR AT 14:15

यह आपके लिए है:-

बड़े एहतियात से मिलिएगा खामोश लोगों से।

ये वो बच्चे हैं जिनकी या तो कभी सुनी नहीं गई
या सिर्फ शोर सुनकर बड़े हुए हैं।

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23 MAR AT 23:41

खुशी गई तो दर्द भरे, ख्याल लिखे मन्नै..
एक भीन्नै के दर्द, कई साल लिखे मन्नै।

रोवै है मेरी डायरी का, हर एक पन्ना
जब तै उस म्ह अपणे, बुरे हाल लिखे मन्नै।

तन्नै तो दे दिया ज़बाब, अदालत तै मगर,
तेरे तै बिछड़ कै, कई सवाल लिखे मन्नै।

बेरा लाग्या मोहब्बत, सिर्फ जान लिया करै,
फेर फुल्लां के रंग, सिर्फ लाल लिखे मन्नै।
💔

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19 MAR AT 14:38

मेरी जिंदगी में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। इन दिनों मेरे साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। दो चार लोग जिन्हें मैं अपना समझता था वो भी अब दूर चले गए हैं। कई दिनों से इधर मन काफी विकल और व्याकुल सा हो गया है। अनगिनत चिंताएं मुझे नोच के खाए जा रही है। पूरी रात अपने कमरे के चीजों को निहारते हुए गुजारने के दर्द को सहन करना, इंसान को पत्थर सा बनाने में काफी मदद करता है। 😟

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29 FEB AT 21:50

खाली चीजें....
ज्यादा स्थान घेरती हैं,
खाली दिन......
बहुत कठिनता से बीतता है
खाली कमरें.....
बहुत भयावह लगते हैं
खाली बर्तन.....
ज्यादा शोर करते हैं
असल में.........
खालीपन बहुत भारी होता है।।

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18 FEB AT 23:24

लिकड्या चंद्रमा पर किसे किसे नै दिख्या....
अंधेरी आठ्यम नै च्लकद्या वो जमा नी शरमाया.।।।

सीसा बोल नहीं स्कै मुंह तै इस करके....
तेरी सुथराई का बखान मेरे हिस्से आया..।।।❣️

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28 JAN AT 22:05

To be दुखी is not a choice, you have to put a rock of dead feelings on your heart and to carry on with a smile on your face....
दुख विकल्प नहीं होते, दुख सच्चाई होया करैं
इण गैल यारी लाणी पड्या करैं....

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26 JAN AT 22:11

न्यू सोचकै उदासियां तै
जगहां दी दिल मैं

अक घरनै आए महमान नै
काढ्या नी करते।

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21 JUL 2023 AT 22:09

मेरी "बेचैनी" जायज ही दुनिया वालों।
दो ही पसंद थी मेरी

एक "शहर" है जो डूबा हुआ है बाढ़ से,
एक "दोस्त" है जो मिलना नहीं चाहता।

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3 JUL 2023 AT 22:16

हज़ार वजहें हैं
रूठ जाने की सबसे
हज़ार वजहें हैं
टूट जाने की फिरसे ।
तमाम सच्चाईयाँ हैं
जो शायद ना होती तो अच्छा था.
कई लोग हैं
जो शायद उतने करीब नहीं हैं
जितना हमने सोचा था।
सौ रास्ते हैं सामने
मगर दुबारा चलने की हिम्मत नहीं।
लाखों शिकायतें हैं मगर
किसी से कहने का मन नहीं।
ठीक ऐसे वक्त में ...
मुझे ज़रूरत थी तुम्हारी उम्मीद थी मुझे अकेला नहीं छोड़ोगे ।

पर अफसोस....🥺

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