तू सही, मैं सही, ये सही, वो सही, गलत होना तो भूल ही गए हैं। तेरी ख़ुशी, मेरी खुशी, इसकी हंसी, उसकी हंसी, गम अपनाना तो भूल ही गए हैं।। इससे पहले कि आप मुझे अपनी ओछी मानसिकता का परिचायक मान लें, मेरा एक सवाल है, जिसका जवाब आप मुझ तक जरूर पहुंचाए। इससे आप खुद को जिम्मेदार किस हद तक मानते हैं इसका अंदाजा लगेगा। समय हो तो जरूर सोचिए और बताइए।। "सवाल - खुशी क्या है और इसकी हद क्या है?"