किधर जाना है तुमको
जरा बताना
हमको भी समझना है
मंसा तुम्हारी
सन्नाटे में मत जाना
मुझे लगता है सन्नाटे से डर
जहाँ आती हो झींगुर की आवाजे
चुप्पी तोड़ते हुवे
चमगादड़ की चीखे
नहीं सुननी सूखे पत्तों की सरसराहट
सुननी हैं मुझे कोलाहल
बच्चों की गुनगुन
संगीत की रुनझुन
चूड़ियों की खनखन
कोई नाम तो पुकारे प्यार से
एक खुशनुमा माहौल
चेहरे पर मुस्कराहट
जहाँ मुखौटो की राजनीति ना हो
समझ गए ना !! किधर जाना है तुमको..
𝓜𝓸𝓱𝓲𝓽𝓪❤️
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