शब्द भी मौन है, नयन भी मद्धम है अर्धरात्रि पहर है स्वपन सरीखा इंतजार, अब तो आ जाओ प्रियतमा, उदास है दिल बोझिल सा मन है जिन्दगी मेरी सवार जाओ अब तो आ जाओ प्रियतमा, चांदनी जब करीब है बेचैन से पल है ये दूरी भी अजीब है साथ निभाने को अब तो आ जाओ प्रियतमा,