बस दो क़दम की दूरी है।प्रत्येक वोट ज़रूरी है।।-आफ़ाक़ -
बस दो क़दम की दूरी है।प्रत्येक वोट ज़रूरी है।।-आफ़ाक़
-
पीछे छूटती हुई हर चीज़,पहले से ज़्यादा खूबसूरत लगने लगती है।। -
पीछे छूटती हुई हर चीज़,पहले से ज़्यादा खूबसूरत लगने लगती है।।
बस यही बात 'माँ' की सबसे बुरी लगती है।लाख़ बुरी हो औलाद, बुरी नही लगती है।।- आफाक़ -
बस यही बात 'माँ' की सबसे बुरी लगती है।लाख़ बुरी हो औलाद, बुरी नही लगती है।।- आफाक़
जब हुक्मरान बरहना होने लगते है, तोआवाम को मज़हबी लिबास बाटने लगते है।।-आफाक़ -
जब हुक्मरान बरहना होने लगते है, तोआवाम को मज़हबी लिबास बाटने लगते है।।-आफाक़
क़िरदार निभाने, और क़िरदार जीने में, इक "I r r f a n" का फ़र्क होता है।।- आफाक़ -
क़िरदार निभाने, और क़िरदार जीने में, इक "I r r f a n" का फ़र्क होता है।।- आफाक़
ईदी मिले या न मिले,तुम गले ज़रूर मिलना।अदावतों के इस धुएँ में, तुम खिड़की-ए-उम्मीद खोलना।- आफाक़ -
ईदी मिले या न मिले,तुम गले ज़रूर मिलना।अदावतों के इस धुएँ में, तुम खिड़की-ए-उम्मीद खोलना।- आफाक़
नर्मदा का घाट हो। होशंगाबादी ठाट हो। बांसुरी की धुन बजे, और"नीलेश" का काव्यपाठ हो।-आफाक़ -
नर्मदा का घाट हो। होशंगाबादी ठाट हो। बांसुरी की धुन बजे, और"नीलेश" का काव्यपाठ हो।-आफाक़
पर्दा उठा......जिंदगी शुरू ।पर्दा गिरा.....ज़िंदगी ख़त्म ।बाक़ी तो सिर्फ "नाटक" है।।-आफाक़ -
पर्दा उठा......जिंदगी शुरू ।पर्दा गिरा.....ज़िंदगी ख़त्म ।बाक़ी तो सिर्फ "नाटक" है।।-आफाक़
और फिर अंत में सब ने कहानी बन जाना है,कोशिश करना जो तुम "कविता" बन सको।।-आफाक़ -
और फिर अंत में सब ने कहानी बन जाना है,कोशिश करना जो तुम "कविता" बन सको।।-आफाक़
ये ग़ुमान न रखना की भुला दिए जाओगे ।तुम वो कशिश हो " सतीश ",हर लबों पर आतिश बन सजाए जाओगे !! -
ये ग़ुमान न रखना की भुला दिए जाओगे ।तुम वो कशिश हो " सतीश ",हर लबों पर आतिश बन सजाए जाओगे !!