।। हारना नहीं है ।।
उस चमकते हुए सूरज की धूप में
जल जाते हैं सभी,
तुम उस आग में तप कर
फिर एक बार जीना सीखो ;
ऊंची उड़ान भर कर
डर से लौट जाते हैं सभी,
तुम आसमां में उड़ कर
उसमें गुम हो जाना सीखो ;
बेशक हैं पैरों में बेड़ियां बंधी,
जख्मी पैरों तुम दुबारा
दौड़ जाना तो सीखो,
मजबुर सही पर वक्त से
हारना नहीं तुम ,
एक बार इस वक्त को
तुम भी हराना तो सीखो ;
उजालों में तो हर लम्हा साथ है ज़माना
तुम अंधेरों से अकेले ही
जूझ जाना तो सीखो,
ताउम्र आजमाती रही जिंदगी तुम्हें
एक दफा तुम भी
जिंदगी को आजमाना तो सीखो;
तुम्हारे राह में " सुमन " न खिल जाए तो कहना
एक बार खिल - खिला के तो देखो ।।
—तनीषा उज्जैन 'सुमन'
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