Mayank Shukla   (Shuklaji)
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Joined 8 September 2018


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24 APR 2022 AT 22:10

नहीं चाहिए ज़िंदगी से कोई इंकलाब,
बस कोई इतना सा दे दो जवाब...
की सिरहाने किताब रखूं,
या कोई ख्वाब...

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8 OCT 2021 AT 22:03

हाल ए दिल बतलाऊं या,
कोई अखबार पढ़कर सुनाऊं।
दोनो में किस्से बड़े गहरे हैं,
किसी में सच्चे तो किसी में झूठे चेहरे हैं।।

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18 JUL 2021 AT 19:57

तेरी एक हंसी पर संवरे,
तेरे रूठने से रूक जाए ये दिन।
अब सोच भी नही सकता,
ये जिंदगी तुम बिन।।

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18 JUL 2021 AT 11:17

अब जो बरस रहा है,
उसमे शोर है पर सुकून भी है।
लगता है मौसम ऐ दस्तरख्वां में
में अब सजा मानसून भी है ।।

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3 APR 2021 AT 9:00

कोरा पड़ा है कागज और कलम मदहोशी में,
अब कैसे कह दूं कोई हर्फ, इस खामोशी में।।

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5 MAR 2021 AT 22:32

अभी तो धीमी सी एक शुरुआत है,
ये कहानी तो बहुत बड़ी है।
रफ्तार में है जमाना आजकल,
पर जमाने की किसको पड़ी है।।

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31 JAN 2021 AT 1:20

ना जाने इस सफर पर,
वक़्त क्यूं बेईमान हो रहा है।
की मंजिल दूर और,
रास्ता आसमान हो रहा है।।

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13 JAN 2021 AT 20:27

मिट्ठू को कैद करना, इंसान का काम था।
बेवजह किताबों में पिंजरा बदनाम था।।

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28 DEC 2020 AT 21:35

तेवर बदलने लगे है मिज़ाजो के,
कश्तियां छोड़ लोग सवार है जहाजो पे।
लगता है कोहरा कम नहीं हुआ शहर से,
क्योंकि सज नहीं रही धूप दराजो पे।।

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5 DEC 2020 AT 12:19

इक्कट्ठी हुई है भीड़,
जरूर कुछ तो बवाल है।
कुर्सी पर हैं जो शायद,
उनसे पूछा गया सवाल है।।

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