Maqbool Afsaane   (Maqbool)
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Joined 27 December 2018


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Joined 27 December 2018
1 FEB 2023 AT 20:53

फरवरी का महीना
मानो किसी ने कोई
प्रेम किताब खुली
छोड़ दी हो उस पन्ने
पर जब प्रेमी और प्रेमिका
अपने प्यार का इजहार करते हैं।

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29 AUG 2022 AT 21:10

मुझे प्रेम करने से डर लगता था
पर मैंने किया
मुझे मर जाने से भी डर लगता है

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27 JUL 2022 AT 23:49

Whenever the middle child involves in family talk.
Family-

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26 JUL 2022 AT 23:13

Mnya ki thoda gussa jyada
Pr pyaar v mere ch pura ae
Tere lyi ardasa kiniya kitia
Ginti honi aukhi h

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25 JUL 2022 AT 21:16

My brother- ye log to apse baat ni krte the pehle, ab apke aage-pichhe kyu ghum rhe h

Me

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24 JUL 2022 AT 22:38

कभी किसी के जाने का इतना दुख नहीं होता
जितना ये सोच के होता है की वो फिर कभी वापिस नहीं आएगा

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23 JUL 2022 AT 20:41

Jab koi rishtedar puchhe ki kahi kam ni kr rhe kya

Janmo ka berojgar mai-

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22 JUL 2022 AT 21:14

मैं दिल तुड़वा के रोऊं मैं ये नहीं चाहता
मेरे हमदम मैं दिल तोड़ के रोना चाहता हूँ
जो मिला ही नहीं उस पर अफसोस है मगर
जो मिल गया है मैं उसे भी खोना चाहता हूँ
चैन की नींद नसीब होती नहीं गरीबों को
मैं बंगले का मालिक जमीन पर सोना चाहता हूं
मैं दुनिया में कहीं भी रह सकता हूं मगर
मैं तेरे दिल के मकान का एक कौना चाहता हूँ
जिस शर्ट पर दाग नहीं लगने देता था मैं
उस शर्ट को तेरे आंसुओं से भिगोना चाहता हूँ
एक खंजर मेरे दिल के पार तू कर गई थी बरसों पहले
एक कांटा तो तेरे दिल में भी चुभोना चाहता हूँ

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21 JUL 2022 AT 21:59

कौन गिने,थे कितने ज़ख़्म और कितने दर्द पाए थे
बहुतों ने छिड़का था नमक, ना किसी ने मरहम लगाए थे
तू छोड़ गया था जब मुझे तो साथ तेरे साये थे
उस घडी पता चला मुझे, कौन अपने थे कौन पराए थे
तेरे किए वादे कसमें तब हमने दोहराये थे
जब तेरी तस्वीरें और खत हमने दफ़नाए थे
लोगो को भी किस्से तेरी बेवफाई के सुनाए थे
लोग तमाशा देखने दौड़े-दौड़े चले आए थे
तेरे दिए हुए ज़ख़्म आज भी तरोताजा है
तेरे ही चक्कर में तो हम मजनू कहलाये थे

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20 JUL 2022 AT 22:33

रात हमारे ख़्वाब कहां हैं
इश्क में लोग आबाद कहां हैं
उसकी आंखे उसके होंठ
इस से बडा फसाद कहां है

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