Manoj Kumar Patel   (The poetry man)
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Joined 30 April 2018


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Joined 30 April 2018
19 NOV 2021 AT 8:35

#❤️
मैं अच्छा हु ।
ये बात मुझे ख़ुद बतानी पड़ीं।
अरे,
वो तो लिपट पड़ी,
बाहों से मेरे,
मुझे ही नफ़रत जतानी पड़ी ।

कुछ तो सवाल उसके मन मे भी था ।
मुझे जवाब,
लिख कर दिखानी पड़ीं।
अरे,
वो तो सोच रही थी कि,
ये ऐसा क्यों है ?
मुझे पिछले मोहब्बत की तस्वीर,
दिखानी पड़ी।
मैं अच्छा हु ।
ये बात मुझे ख़ुद बतानी पड़ीं।

कुछ क़िस्से,
थोड़ी दास्तान सुनानी पड़ीं।
अरे,
वो तो पोछना चाहती थी ।
ऑसू मेरे,
मुझे ही जज़्बात छुपानी पड़ी।
मैं अच्छा हु ।
ये बात मुझे ख़ुद बतानी पड़ीं।

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1 NOV 2021 AT 9:57

आज लोगो को,
साथ देने वाले नही ।
साथ सोने वाले ज्यादा पसंद आते है ।— % &

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16 OCT 2021 AT 0:01

मारना है तो ख़ुद के भीतर का,
"रावण" मारो।
हर साल,
पुतला जलाने से बालात्कार नही रुकते ।

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7 OCT 2021 AT 23:58

एक बूंद से,
मैं समंदर सा हो गया।
गालों पर मेरे नदियों के निशा आज भी है।






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2 OCT 2021 AT 11:40


कान्हा बन के मुझे तुझसे,
बिछड़ना नही ।
हीर मेरे,
मैं तो तेरा राँझा हुँ ।
तू बन जा पतंग ग़र तो
तुमसे लिपटा मैं मांझा हूँ।

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30 SEP 2021 AT 23:42

लायक से ना जाने तू कब नालायक हो गई ।
तू कभी कोठे पर बैठी नही,
ऐ ज़िन्दगी!
तू कब से तवायफ हो गई ।

जो पूछे थे मेरा हाल-चाल।
वो ना अब हाल पूछते है,
मेरी मुफ़लिसी अब रवायात हो गई।
ऐ ज़िन्दगी!
तू कब से तवायफ हो गई ।

गिरा ही तो हूँ,
अभी हारा कहाँ था !
पर,
बेवज़ह ही इश्क़ की,
साथ मेरे,
शरारत हो गई।
जो थामे थे हाथ मेरा,
सारी उम्र चलने को।
उनका ही उंगली छुड़ाना ,
अब कवायद हो गई।
ऐ ज़िन्दगी!
तू कब से तवायफ हो गई ।

मुश्किले हालात,
कुछ मंजर भी बीत जायँगे ।
अभी बिगड़ा हूँ ।
कुछ संभलने तो दो,
ये जंग भी हम जीत जाएंगे ।
पर तेरा ये मुझसे,
बार-बार रूठ जाना,
अब शिक़ायत हो गई।
ऐ ज़िन्दगी!
तू कब से तवायफ हो गई ।

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25 SEP 2021 AT 2:01

😂🤣🤣🤣🤣

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6 SEP 2021 AT 23:43

कुछ आईने गुस्ताख़ हो गए।
अभी हम संभले ही थे कि,
फ़िर एक दफ़ा बर्बाद हो गए।

औऱ वो थाम चल सकता था मेरी ।
अँगुलीया भी,
पर देखो को कैसे अंजान हो गये।

चार मुलाक़ातों का सफ़र दस महिनों में गुजरा ।
इस दफ़ा होगी मोहब्बत मुक़म्मल,
ये ही सोच हम नाक़ाम हो गए ।

ज़नाब!!!
अभी हम संभले ही थे कि,
फ़िर एक दफ़ा बर्बाद हो गए।

उसके घर की दीवारे थी ऊँची।
मेरे पाव जमी पर,
सुना है वो बंदिशो से लाचार हो गए।

और इश्क़ होता मुक्कमल भी कैसे?
हम नकारे,
इश्क़ में ही बर्बाद हो गए ।

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5 SEP 2021 AT 22:43

22 AUG 2021 AT 0:46

Ai jindgi,
Ab mai jau kaha ?
Ak bar hi to ki mohabbat !
Ab mar jau kya??
Aur ai khuda puri karna uski sari mannat,
Tujhe na hoga to,
बता !!
Mai Upar aau kya..???

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