यू ना तोड़ो बेवजह गुलाब मेरे बाग के “खुमार” तेरा मेहबूब खुद में एक गुलाब है ©मन्नान “खुमार”— % & -
यू ना तोड़ो बेवजह गुलाब मेरे बाग के “खुमार” तेरा मेहबूब खुद में एक गुलाब है ©मन्नान “खुमार”— % &
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रातो में तेरी बात हैबिखरे हुए जज़्बात हैसासो में मेरी आज भी तेरी महक यू आ रहीयादे जो तेरी आती हैपलके भिगो के जा रहीतू है यू तो शायरीतू ही मेरी उर्दू हैदिल की ये हसरत वक़्त की नज़ाकतआरज़ू यू तो तू ही है- ©मन्नान “खुमार"— % & -
रातो में तेरी बात हैबिखरे हुए जज़्बात हैसासो में मेरी आज भी तेरी महक यू आ रहीयादे जो तेरी आती हैपलके भिगो के जा रहीतू है यू तो शायरीतू ही मेरी उर्दू हैदिल की ये हसरत वक़्त की नज़ाकतआरज़ू यू तो तू ही है- ©मन्नान “खुमार"— % &
तस्वीरों में जिसे देखा करते थे हम अब वो रूबरू आकर इक़रार करने लगा हैमैं किस तरहा बया करू तारीफें तेरी तेरे हुस्न से अब चाँद डरने लगा हैतू धूप है तो मैं सूरजमुखी सदा तू नज़र आते ही मेरा रुख तेरी और बढ़ने लगा हैऔर ये कसूर तेरा है या तेरी बातों का “खुमार” अब तो तेरी हर अदा से इश्क़ होने लगा है ..©मन्नान “खुमार” -
तस्वीरों में जिसे देखा करते थे हम अब वो रूबरू आकर इक़रार करने लगा हैमैं किस तरहा बया करू तारीफें तेरी तेरे हुस्न से अब चाँद डरने लगा हैतू धूप है तो मैं सूरजमुखी सदा तू नज़र आते ही मेरा रुख तेरी और बढ़ने लगा हैऔर ये कसूर तेरा है या तेरी बातों का “खुमार” अब तो तेरी हर अदा से इश्क़ होने लगा है ..©मन्नान “खुमार”
यू तो अब तारों की नुमाइश में अगर तुम आ जाओचाँद को भी ग्रहण लग जाएगा अगर तुम आ जाओ...©मन्नान “खुमार” -
यू तो अब तारों की नुमाइश में अगर तुम आ जाओचाँद को भी ग्रहण लग जाएगा अगर तुम आ जाओ...©मन्नान “खुमार”
तुझको आवारगी ने बदनाम कर दिया “खुमार”वरना तू लिखता बड़ा अच्छा है लोग ऐसा कहते है...©मन्नान “खुमार" -
तुझको आवारगी ने बदनाम कर दिया “खुमार”वरना तू लिखता बड़ा अच्छा है लोग ऐसा कहते है...©मन्नान “खुमार"
इक नई उम्मीद दिखा या मौलामुझको मुझ ही से मिला या मौला...©मन्नान “खुमार” -
इक नई उम्मीद दिखा या मौलामुझको मुझ ही से मिला या मौला...©मन्नान “खुमार”
उसने अपने नाम के आगे मेरा नाम लिखकर कहायही हमारा इक़रार समझो यही इज़हार भी ...© मन्नान “खुमार” -
उसने अपने नाम के आगे मेरा नाम लिखकर कहायही हमारा इक़रार समझो यही इज़हार भी ...© मन्नान “खुमार”
हवाओं को बेहकने की आदत पुरानी है इन फूलों का महक उतना शायद तेरे गुज़रने की निशानी है ...© मन्नान “खुमार” -
हवाओं को बेहकने की आदत पुरानी है इन फूलों का महक उतना शायद तेरे गुज़रने की निशानी है ...© मन्नान “खुमार”
यू तो तुम्हारे रास्ते में मैं अब ना आऊंगा जिक्र जहाँ पर हो बस मुस्कुराकर चला जाऊंगा© मन्नान “खुमार” -
यू तो तुम्हारे रास्ते में मैं अब ना आऊंगा जिक्र जहाँ पर हो बस मुस्कुराकर चला जाऊंगा© मन्नान “खुमार”
हुस्न को हुस्न तुम्हें देख कर ही कहा होगा इश्क़ को इश्क़ तुमसे मिलकर ही हुआ होगा...- ©मन्नान “खुमार” -
हुस्न को हुस्न तुम्हें देख कर ही कहा होगा इश्क़ को इश्क़ तुमसे मिलकर ही हुआ होगा...- ©मन्नान “खुमार”