Mann Mishra  
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खुली क़िताब सी मैं,जितना मर्जी पढ़ लो, लेकिन लिखने की इजाज़त नही है कुछ भी...
Joined 31 March 2019


खुली क़िताब सी मैं,जितना मर्जी पढ़ लो, लेकिन लिखने की इजाज़त नही है कुछ भी...
Joined 31 March 2019
4 HOURS AGO

हटो जाओ छोड़ कर..
हम अकेले ज्यादा खुश रह लेंगे सरकार..
ना तुम्हारे जाने का ग़म ना आने का इंतज़ार..

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3 MAY AT 18:01

अजीब दुनियां है..
सच बोलो तो यकीन नहीं करते हैं..
झूठ पर कहानियों बनाते हैं लोग..

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29 APR AT 23:19

किसने जाना..
हाय की आवाज़ कहाँ से निकली..
जिस पर बीती उसकी किसी ने ना सुनी..
एक वो दर्द है जो दिखा नहीं..
इसलिए उसकी कोई दवा नहीं..

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26 APR AT 15:27

अनकही बातें भी समझ आती थी..
अनसुना भी लोग सुनते थे..

आज कही बातों पर ध्यान नही..
सुनी बातों का कोई मतलब नही..

उस दौर में लोग भावनाओं में जीते थे..
आज अपनी भावनाओं को पी लिए..

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24 APR AT 20:50

छुपे भी कैसे..

आँखों मे जब अश्क़ केवल हो यार का..
दिल में धड़कन धड़के यार के नाम का..

साँसों में ख़ुश्बू हो बस यार की..
शीशा भी देखूँ तो यार दिखे..

सजना संवारना भी यार के लिए..
बताओ छुपे भी कैसे..

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23 APR AT 19:54

फ़िर बस मोहब्बत होगी..
ना दुनियां दिखेगी..
ना दुनियां को हम दिखेगें..
मोहब्बत के पहलू में..
साँसे चलेगी..
रूह से रूहानी अहसास होगा..
आँखों में उसका ही शुमार होगा..
फिर बस मोहब्बत होगी..

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22 APR AT 20:20

मुस्कुरा कर मिलो जब भी मिलना सरकार..
ये क्या हम है हम अभी तुम्हारे इंतजार में हैं..

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21 APR AT 15:25

जीवन में अकेले बैठना..
भी बहुत जरूरी है..
अपनी गलती तब ही..
पता चलती है..

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20 APR AT 19:17

ना लगाऊँगी..
जो तुम हमें ख़ुद का साथ दे दो..
मेरे हाथों में अपना हाथ दे दो..
साथ बैठ कर गिने हम तारे..
शांत गंगा में मारे कंकड़..
हाँ खुद का बस साथ दे दो..

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19 APR AT 12:42

तेरा आना जाना इस दिल में लगा रहेगा..
या कभी सकुन से दिल में रुकना चाहोगे सरकार..

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