होते नहीं निराश, आशाओं के जगमगाते जुगनुओं के साथ। अंधेरों से लड़ने के लिए, क्या, सितारों की रौशनी कम है? उम्मीद का दामन कभी छूटने न पाए। निराशाओं से लड़ने के लिए, क्या, हौसले कम है?
आशुफ़्ता ख़्वाब, समेट लिए । अब ज़िन्दगी हसीन हो गई मेरी । कब तलक़ बिखरने का अफ़सोस जताती । ख़ुश हूँ कि, अपनी वफ़ाएं समेट ली, वक़्त रहते। कब तलक़, तेरी बेवफ़ाईयों का बोझ उठाती।।
इस क़दर ब़ेरहम हुआ बैठा है । मेरा यार! सुर्ख़ रंगों में लिपटा, पर्दानशीं हुआ बैठा है । न आज़माना मेरी क़िस्मत, रुख़ पे, पर्दा डाल कर। ख़ुदा, ख़ुद मेरी तक़दीर में, आपका दीदार लिखा बैठा है ।।
इश्क़ होने लगा है मुझे। मेरे बदलते किरदार से। कि, हर आज़माइश से, मिलती हूँ बड़े इत्मिनान से। किसी भी आज़माइश पर , शिक़ायत नहीं करती। सोचने की लत छोड़ दी मैंने। अब अंजाम की, परवाह नहीं करती।।
देखिए आग़ाज़ - ए - इश्क़ हो रहा है। निग़ाहें नीची हैं, और फ़रियाद हो रहा है। वो हाथ में थामें हैं लाल गुलाब। एहसासों में, सुर्ख़ रंगत की मिलावट के साथ।
अतीत से खिलवाड़ छोड़ दो। अतीत से फ़रियाद छोड़ दो। जो गुज़र गया, वो गुज़र गया। कुछ तज़ुर्बों की सौगा़त चुन लो। ना मलाल करो गुज़रे पल का। ना सवाल करो बीते कल का। बस आज, अभी में जी कर के । हर सवाल, हल कर दो जीवन का।।
आसान हो जाइए, आसान हो जाएगा। कोई मसला ऐसा नहीं, जो हल न हो पाएगा। उलझनों में ग़र उलझ गए, तो शिक़ायत बनी रहेगी। ज़िन्दगी! इतनी मुश्क़िल भी नहीं, कि, दुश्वारियों में थम जाएगी।।