Manisha Banwar   (मनीषा बाँवर)
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Joined 5 August 2018


Joined 5 August 2018
25 FEB AT 17:43


आदमखोर पिता

बहुत भूखे होते हैं ।
वे सहजता से खा लेते हैं,
अपने बच्चों का बचपन,अपनापन,
जवानी और भविष्य ।
बहुत चाव होता है उन्हें ,
अपनी बुद्धिध खोने में,
परिवार को बिखेरने में,
खुशियाँ, रिश्ते , सम्मान, जीवन ,
वे सब कुछ खा लेते हैं।
कुछ पिता आदमखोर होते हैं।
२५-२-२५

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25 FEB AT 17:21



आदमखोर स्त्रियाँ
कुछ स्त्रियों की पाचन शक्ति
बहुत मजबूत होती है।
वे आसानी से खाकर पचा लेती हैं,
किसी दूसरी स्त्री का गौरव,
श्रृंगार, रंग और स्वाभिमान ।
और हाँ उनके बच्चों का बचपन,
सपने और भविष्य भी।
उनके उदर में समा जाता है,
किसी दूसरी स्त्री का घर, सम्मान।
कुछ स्त्रियां आदमखोर होती हैं।

२५-२-२४

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28 JAN AT 21:39

इक नयन में स्वप्न कितने कीमती हैं,
मान इनको कीमती मैं खो नहीं सकता,
मुझे तुझसे लगानी एक बाज़ी जान की है,
बात यह ठहराव और विश्राम की है।
तुझे नाजुक पसंद मैं और भारी हो नहीं सकता,
मुझे तुझसे जमानी एक जोड़ी मान की है,
बात यह ठहराव और विश्राम की है।
हुए कितने मुखातिब आज तुम यह प्रश्न कितना कीमती?
इन प्रश्नों की माला कभी भी मैं पिरो नहीं सकता,
अविश्वास की सत्ता भले ही हो चरम पर,
मुझे तुझे लगानी एक बाज़ी सम्मान की है,
बात यह ठहराव और विश्राम की है।

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20 AUG 2023 AT 9:45

बोलता हूंँ मैं बहुत पर मैं हृदय से मौन हूंँ,
याद कुछ भी है नहीं पर मैं भुला पाता नहीं हूंँ।
घर जला, रिश्ते जले, और इज्जत तार है,
लेकिन हृदय के शूल-कांँटे, मैं दिखा पाता नहीं हूँ।
जीत भारी हो गई , सब चल दिए मुझसे परे,
लेकिन अकेली राह में, खुद को हर पता नहीं हूंँ।
हो गई हैं नष्ट फसलें ,खेत गिरवी हैं पड़े,
गिर रहे ओले मगर मैं, सर मुंडा पाता नहीं हूंँ।
आदमी हूंँ मैं हृदय से, किंतु यह आरोप है,
आदमी होने की कीमत, मैं चुका पाता नहीं हूंँ।
मनीषा बाँवर
२०-८-२३

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10 AUG 2023 AT 19:32

आंँखों से दरिया, सीने से मुझको खून बहा करता है,
बस ये न कहूँगी मुझको कितना दर्द रहा करता है।
जगमग तारे घर की छत से जाने कितने गिन डालें,
न जाने क्यों गर्मी का मौसम सर्द रहा करता है।
हो जाएगा अच्छा इक दिन , सहकर यह मालूम हुआ
सहने वाले लोगों को दिल का मर्ज़ रहा करता है।
मेरे मन का जाने कैसे लोगों को मालूम हुआ,
चुगली करने वाला ही हम दर्द हुआ करता है।

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9 AUG 2023 AT 17:48

जान गए सब राज मुझे न कहना है,
लो छुपा लिए जज़्बात मुझे न कहना है।
बारिश ने छूने से ज्यों इनकार किया,
कितनी कठिन पड़ी बरसात मुझे न कहना है।
हर इक रंग के किस्से अपने मतलब हैं,
लिखूं क्या कम पड़ गई दवात मुझे न कहना है।
भूख मुझे हर रोज सताया करती है,
और भरी है मेरी परात मुझे न कहना है।
घात लगा कर बैठा वह भोला सा है,
लूटी दुल्हन की रात मुझे न कहना है।
चप्पा - चप्पा कोना ढूंढा लेकिन फिर भी,
राज की उम्र है उम्र दराज मुझे न कहना है।
बात किसी से न कहना यह कहते - कहते ,
लो फिर से बन गई बात मुझे न कहना है।
झूठ था नंगे पांँव कहा था उसने ही,
पड़ी मिली थी एक जुराब मुझे न कहना है।
उस सच के आगे आकर मैं भी हार गया।
इस सच की हालत और खराब मुझे न कहना है।
राज किसी के रखना तो आसान नहीं,
मेरे मन की बात मुझे ना कहना है।
खोज रहे हैं पता शाक के पत्तों का
है एक पते की बात मुझे न कहना है।
मनीषा बाँवर
८-८-२०२३

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27 MAY 2023 AT 22:35

" मौसम फूल कली का जब भी हो जाएगा ,
जीवन जीने का एक सहारा हो जाएगा ।
"याद" यही जीवन का एक सलीका है,
क्या इसके बिना कभी गुजारा हो जाएगा ?
अश्क,आंँख ने छूकर हवा को पाया है ,
मत समझो वह गैर तुम्हारा हो जाएगा।
दुआ सलामी जिसको मेरी कुदरत दे,
वह होते-होते एक सितारा हो जाएगा।
आस का दीपक जिस दिन सूरज हो जाएगा,
घोर अंधेरा सब अंधकार मिट जाएगा" ।

मनीषा बाँवर
२७-५-२३

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22 NOV 2022 AT 21:01

मेरी तन्हाई की धुन आसमां तक गजब पहुँची,
अजब है मेरी आवाज़ मेरे कानों तक नहीं पहुंची।

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30 MAR 2022 AT 15:59

मत होना
ये दुनियांँ दल, दिल बदलों का मेला है,
हकदार बदल जाए तो हैराँ मत होना।

सौ चेहरों के पीछे भी इक चेहरा है
किरदार बदल जाए तो नादांँ मत होना।

भंँवरे तो खिलते गुलशन की शान में हैं,
बाग उजड़ जाए तो वीराँ मत होना।

पल दो पल की महफिल और दिल-ए-मुश्किल,
दिलदार बदल जाए तो आसाँ मत होना।

मरने वाला हर तूफाँ से टकराता है,
मझधार बदल जाए तो हैराँ मत होना।

और दवा का अपना मजहब बस इक ही,
उपचार बदल जाए तो तौबा मत होना।

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2 JUN 2021 AT 23:57

भरी है आँख आँसू से, इन्हें तिनका बचा लेगा,
छलकना मत छलकने में शिकायत रह ही जाती है।

पढा़ जब से नजूमी ने मेरे आकाश का हिस्सा,
तेरे अल्फाज़ के पीछे हिकारत रह ही जाती है।

जो " मन में गूँजता रहता है ",उसे मन ही बजा लेगा,
मगर ढहकर अधूरी सी इमारत रह ही जाती है।

उलझे तेरे - मेरे किस्से, मेरा मन तो पचा लेगा,
दिखावा, शानो-शौकत को अदालत रह ही जाती है।

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