बेकरारी बेबसी बदस्तूर जारी है ईकतरफा ईश्क है घायल होना तो लाज़मी है -
बेकरारी बेबसी बदस्तूर जारी है ईकतरफा ईश्क है घायल होना तो लाज़मी है
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जिरह मत कर उसके साथ न कर अनुनय विनय,जीवन का कटु सत्य है मिलन के बाद विरह ।हैरां क्यूँ होता है लोगों से 'गुस्ताख' तू ठहरा नादान,जिंदा लोगों और अधमरे रिश्तों का करना सीख पिंडदान ।। -
जिरह मत कर उसके साथ न कर अनुनय विनय,जीवन का कटु सत्य है मिलन के बाद विरह ।हैरां क्यूँ होता है लोगों से 'गुस्ताख' तू ठहरा नादान,जिंदा लोगों और अधमरे रिश्तों का करना सीख पिंडदान ।।
अंधे की आंखों में रे तू क्यों दीप जलाये, बाधिर भी मेरी बातें सुन मंद मंद मुस्काये ।मूक ने भी कह डाले मुझसे दिल के सारे भेद , अपंगों के दिखलाये रास्तो में चला हूँ लाठी टेक । -
अंधे की आंखों में रे तू क्यों दीप जलाये, बाधिर भी मेरी बातें सुन मंद मंद मुस्काये ।मूक ने भी कह डाले मुझसे दिल के सारे भेद , अपंगों के दिखलाये रास्तो में चला हूँ लाठी टेक ।
सजग सरल स्वरूप है जीवन कि परिपाटी,मनोकामना वही है जिसकी कामना है बाकी ।हृदय बिन्ध्य की पीड़ा में मैं क्यों कहराउँ,गंधर्व प्रकृति का सत्व है मेरा नाचूँ और गाऊं। -
सजग सरल स्वरूप है जीवन कि परिपाटी,मनोकामना वही है जिसकी कामना है बाकी ।हृदय बिन्ध्य की पीड़ा में मैं क्यों कहराउँ,गंधर्व प्रकृति का सत्व है मेरा नाचूँ और गाऊं।
तुमसे मिलन का हर पल सुहाना लगता हैतुम्हारी यादों में गुम दिल दीवाना लगता हैतुम्हारे जिस्म से उड़ी आती सौंधी सौंधी खुश्बूहर एक दाना खिला खिला चावल पुराना लगता है -
तुमसे मिलन का हर पल सुहाना लगता हैतुम्हारी यादों में गुम दिल दीवाना लगता हैतुम्हारे जिस्म से उड़ी आती सौंधी सौंधी खुश्बूहर एक दाना खिला खिला चावल पुराना लगता है
मिलते है उनसे महीनों बादकैसी ये गर्मजोशी हैअंदर है बेहद उथल-पुथलऔर बाहर छाई खमोशी है ..पूछती वो फिर भी है बताओक्या करनी थी तुमको बात ?हम भी मुस्कुरा के कह देते हैंजरूरी हो जाता है मिलना तुमसे एक समय के बादभेद मेरे मन का वो समझ तो जाती हैमुख पर कोई भी भाव न लानेका अभिनय वो अच्छा कर जाती हैऔर बस एक ठंडी आह भर के विदा हम उनसे लेते हैक्यों नहीं उनसे कुछ कहा मन ही मन खुद को कोसा करते हैसीने का ये शोर हमने भी दबा रखा है कितनी अक्लमंदी सेमिलेंगे फिर उनसे महीनों बाद बस इसी गर्मजोशी से -
मिलते है उनसे महीनों बादकैसी ये गर्मजोशी हैअंदर है बेहद उथल-पुथलऔर बाहर छाई खमोशी है ..पूछती वो फिर भी है बताओक्या करनी थी तुमको बात ?हम भी मुस्कुरा के कह देते हैंजरूरी हो जाता है मिलना तुमसे एक समय के बादभेद मेरे मन का वो समझ तो जाती हैमुख पर कोई भी भाव न लानेका अभिनय वो अच्छा कर जाती हैऔर बस एक ठंडी आह भर के विदा हम उनसे लेते हैक्यों नहीं उनसे कुछ कहा मन ही मन खुद को कोसा करते हैसीने का ये शोर हमने भी दबा रखा है कितनी अक्लमंदी सेमिलेंगे फिर उनसे महीनों बाद बस इसी गर्मजोशी से
मिलते है उनसे महीनों बादकैसी ये गर्मजोशी हैअंदर है बेहद उथल-पुथलऔर बाहर छाई खमोशी है .. -
मिलते है उनसे महीनों बादकैसी ये गर्मजोशी हैअंदर है बेहद उथल-पुथलऔर बाहर छाई खमोशी है ..
आ चुके है उम्र के इस ढलान में इश्क चढ़ रहा है चढ़ता जा रहा परवान मेंएक साथी की तलाश हमे भी हैजो साथ चले हमसफर बन के ज़िन्दगी के मैदान में -
आ चुके है उम्र के इस ढलान में इश्क चढ़ रहा है चढ़ता जा रहा परवान मेंएक साथी की तलाश हमे भी हैजो साथ चले हमसफर बन के ज़िन्दगी के मैदान में
एक तेरा ही नशा मुझ पे हर रोज चढ़ता है और वो है कि हम से पूछती हैपता नही जी कौन सा नशा करता है ? -
एक तेरा ही नशा मुझ पे हर रोज चढ़ता है और वो है कि हम से पूछती हैपता नही जी कौन सा नशा करता है ?
इश्क़ है आसान थोड़े न हैवो माने या न माने इम्तेहान थोड़े न है -
इश्क़ है आसान थोड़े न हैवो माने या न माने इम्तेहान थोड़े न है