Manish SinghSalam   (Gustakh ....)
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Joined 14 January 2018


Joined 14 January 2018
8 DEC 2021 AT 23:47

बेकरारी बेबसी बदस्तूर जारी है
ईकतरफा ईश्क है घायल होना तो लाज़मी है

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21 DEC 2020 AT 0:27

जिरह मत कर उसके साथ न कर अनुनय विनय,
जीवन का कटु सत्य है मिलन के बाद विरह ।

हैरां क्यूँ होता है लोगों से 'गुस्ताख' तू ठहरा नादान,
जिंदा लोगों और अधमरे रिश्तों का करना सीख पिंडदान ।।

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17 DEC 2020 AT 17:18

अंधे की आंखों में रे तू क्यों दीप जलाये,
बाधिर भी मेरी बातें सुन मंद मंद मुस्काये ।

मूक ने भी कह डाले मुझसे दिल के सारे भेद ,
अपंगों के दिखलाये रास्तो में चला हूँ लाठी टेक ।

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16 DEC 2020 AT 17:01

सजग सरल स्वरूप है जीवन कि परिपाटी,
मनोकामना वही है जिसकी कामना है बाकी ।

हृदय बिन्ध्य की पीड़ा में मैं क्यों कहराउँ,
गंधर्व प्रकृति का सत्व है मेरा नाचूँ और गाऊं।

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14 DEC 2020 AT 11:04

तुमसे मिलन का हर पल सुहाना लगता है
तुम्हारी यादों में गुम दिल दीवाना लगता है

तुम्हारे जिस्म से उड़ी आती सौंधी सौंधी खुश्बू
हर एक दाना खिला खिला चावल पुराना लगता है

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11 DEC 2020 AT 10:09

मिलते है उनसे महीनों बाद
कैसी ये गर्मजोशी है
अंदर है बेहद उथल-पुथल
और बाहर छाई खमोशी है ..

पूछती वो फिर भी है बताओ
क्या करनी थी तुमको बात ?

हम भी मुस्कुरा के कह देते हैं
जरूरी हो जाता है मिलना
तुमसे एक समय के बाद

भेद मेरे मन का वो समझ तो जाती है
मुख पर कोई भी भाव न लाने
का अभिनय वो अच्छा कर जाती है

और बस एक ठंडी आह भर के
विदा हम उनसे लेते है
क्यों नहीं उनसे कुछ कहा
मन ही मन खुद को कोसा करते है

सीने का ये शोर हमने भी
दबा रखा है कितनी अक्लमंदी से
मिलेंगे फिर उनसे महीनों बाद
बस इसी गर्मजोशी से







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11 DEC 2020 AT 9:59

मिलते है उनसे महीनों बाद
कैसी ये गर्मजोशी है

अंदर है बेहद उथल-पुथल
और बाहर छाई खमोशी है ..

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10 DEC 2020 AT 0:50

आ चुके है उम्र के इस ढलान में
इश्क चढ़ रहा है चढ़ता जा रहा परवान में

एक साथी की तलाश हमे भी है
जो साथ चले हमसफर बन के ज़िन्दगी के मैदान में

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10 DEC 2020 AT 0:19

एक तेरा ही नशा मुझ पे हर रोज चढ़ता है

और वो है कि हम से पूछती है

पता नही जी कौन सा नशा करता है ?


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2 DEC 2020 AT 21:42

इश्क़ है
आसान थोड़े न है

वो माने या न माने
इम्तेहान थोड़े न है

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