मेरे इश्क वाली चूड़ी धरी की धरी रह गई
कोई सोने की चूड़ी देकर मुझे लें जा रहा है
सुनो
मेरी शादी का दिन नजदीक आ रहा है
कोई गैर मेरी मांग भर कर मुझे लें जा रहा है
अब कोई सरकारी नौकरी लेकर
मुझे खरीदने आ रहा है
तुम सम्भाल लोगे क्या खुद को
मेरे हाथों में महेंदी देख कर
एक ख्वाहिश थी तुमसे
मेरे मांग के सिंदुर को मुक्कमल कर जाने की
अब कोई और झुमके ओर पायल दे जा रहा है
कैसे पकड़ेगा हाथ वह मेरा
जबकि मेरे हथेलियों को तो तेरी आदत सी है
मुहब्बत किसी की हो न सकी
कोई मंजिल मुझे बनाने जा रहा है
जिस जिस्म को सिर्फ तुने छुआ था
अब वो किसी और का होने जा रहा है
कोई मुझे सोने की चुड़ी देकर लें जा रहा है
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