कुछ खिड़कियां बहुत खास होती है जहाँ इश्क़ की कई दास्तां छुपी होती है, कुछ अधुरे, कुछ मुकम्मल , कई किस्सें समेट रखी होती है कुछ खिड़कियां बहुत खास होती है।
विरही मन की प्यास मिलन की आस रुहानी है पवन का झोंका कर रही अट्ठखेलिया मंद - मंद मुस्का रही मानो बरसों की प्यास दूर हो रही और कर रही तृप्त बुँदे बारिश की ।
हाँ थोड़ा और इंतज़ार “थोड़ा और ,थोड़ा और ”करके कभी -कभी खत्म हो जाती है चाहत उसकी जिसके लिए करते हैं हम इंतजार बरसों से हाँ खत्म हो जाती है इंतज़ार की घड़ी और साथ-साथ उस चीज की ख्वाहिश भी क्योंकि “थोड़ा और ,थोड़ा और” करके इंतजार के साथ -साथ हमारे एहसास भी दम तोड़ देती है जैसे प्यासे को पानी तब मिलना दर -दर भटकने के बाद उसके जब जिन्दगी की अंतिम साँसे गिन रहा हो ।
दूरियों से डरते - डरते मजबूरीयों का नाम दे और हमसे दूर होते गए खैर रूसवाई नहीं अब आपसे जब अपने ही हमें गैर करते गए तो कैसा गिला - शिक़वा अब तो आदत सी हो गई हमें जख्मों को खंजर बनते देखने का ।
ये शाम बारिश वाली और ये बारिश तेरे यादों के नाम हाँ तेरे यादों के नाम,तेरे अल्फ़ाज़ों के नाम ये बारिश कर रही हर बूंद-बूंद में तेरे यादों का ताजा मानो कल की ही बातें ये बारिश ले आयी संग अपने कई किस्से किस्से तेरे - मेरे रूहानी इश्क़ की बीते पूराने अल्फ़ाज़ों की, जज्बातों की कर रही है ये हमसे गुफ्तगू आहिस्ता -आहिस्ता और बना रही ये शाम मेरी सुहानी ।
पल -पल रूख़ बदलते है लोग यहाँ हर मंजर में एक नया मंजर तलाश करते जनाब दस्तूर ये मोहब्बत में निभा रहे बेहद ही सादगी से एक के बाहों में होते और दूजे के ख्यालों में खोये- खोये रहते।
अलविदा ही कहना था तो क्यों संजोये ख्वाब अनेक क्यों बन गए हमराह मेरे अलविदा ही कहना था तो क्यों जताया अपनापन क्या कहूँ अब तुमसे जब तन्हा कर दूर चले गए हमसे