Mahesh Kumar Matta   (Mahesh Kumar Matta)
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Joined 26 May 2018


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Joined 26 May 2018
17 MAY AT 22:58

जब भी कोई दिल दुखाये तुम्हारा
तो भुला कर उनकी बेतुकी बातें
सिर्फ और सिर्फ मुस्कुराना
देखना आईने में खुद को
और बढ़कर थोड़ा आगे शीशे को छूकर
अपने होठों से मिलाकर होठ
चूम लेना खुद के अक्स को उस आईने में
और सिर्फ मुस्कुराना
यार ऐसी की तैसी करना फेक लोगों की
बस तुम यह सोचना कि जो वो हैं
तुम उनसे कहीं आगे हो
खूबसूरती में, नज़ाकत में, सब्र में
क्या यह वजह काफी नही तुम्हारे खुश होने के लिए
इसलिए plz अब न रखना अपने चेहरे को मुरझाया हुआ
और सर्फ और सिर्फ मुस्कुराना

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14 MAY AT 23:29

जब कभी मैं तुम्हे दिख जाऊँ
बिन वजह मुस्कुराता हुआ
तो समझ जाना
कि मैंने अकेले जीना सीख लिया है
तुम्हे गलतफहमी न हो जाये
कि तुम्हारे बिना जी नही सकता
तो देख लेना मैंने हर गम
खुद ही पीना सीख लिया है
हाँ ठीक है बहुत बक बक करता था न तुम्हारे आगे
अब नही सुन पाओगी एक भी शब्द मेरे मुँह से
मैंने हर किसी के आगे, चाहे तुम भी क्यों न हो
अपने इन होठो को सीना सीख लिया है
मैंने अकेले जीना सीख लिया है

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8 MAY AT 21:12

रोज़ रात होती है
रोज़ सुबह हो जाती है
वो जो खाली जगह है मेरे बिस्तर पर
वो खाली रह जाती है
और यूँ ही रात बीत जाती है
और तूँ रोज़ की तरह
मेरे दिल मे होती है
दिल मे ही सो जाती है
क्या हुआ..
जो वो जगह खाली रह जाती है

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8 MAY AT 13:21

कोई अपना न होकर भी अपना सा लगे
वो प्यार है
कोई सपना सा होकर भी सपना न लगे
वो प्यार है
ये जानते हुए भी कि उसकी खुशी किसी ओर से है
और हम उसको खुश करने में कोई कसर न छोड़े
वो प्यार है
हम कहीं भी गुम हो जाएं उसे फर्क नही पड़ेगा
पर उसकी एक आहट पर हम खाना पीना और सोना भूल जाएं
वो प्यार है
ये भी नही पता कब मिट्टी में मिल जाएं यह प्रीत के रिश्ते
पर आखिरी साँस तक जिसकी खुशी के लिए हम प्रयासरत रहें
वही तो...सच मे प्यार है
वो प्यार है

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7 MAY AT 23:27

अकेलेपन से कुछ ऐसी यारी हुई है हमारी
कि अब किसी को अपना बनाने का दिल नही करता

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6 MAY AT 18:44

हाँ तो क्या कहा था तुमने
कि मेरी बातें ही खत्म नही होतीं
मै सिर्फ अपनी कहती हूँ
तो कह लो जितना कहना चाहती हो
मैं सुनता रहूंगा
तुम्हरी ज़िंदगी की उलझनों के धागे
बुनता रहूँगा
ऐसी बात नही कि मैं कुछ कहना नही चाहता
पर इंतज़ार है उस पल का
जब तुम कहोगी कि अब तुम बहुत खुश हो
तब मैं अपनी भी कहूँगा
कुछ न छिपाऊँगा तुमसे
कुछ न छिपाऊँगा सब कुछ कहूँगा
तब तक रखो ख्याल अपना
तुम्हारा मुस्कुराना भी मुझे अच्छा लगता है
चाहे लगी रहो फ़ोन पर किसी के भी साथ
बस तुम साथ हो न.. यही अहसास भी मुझे अच्छा लगता है
तुम ये बात फिर मत सोचना कि तुम सिर्फ अपनी ही कहती हो
सच तो ये है कि मेरे पास इतनी बातें है कहने को
जो साल भर भी करूँ तो खत्म नहीं होंगी
इसलिये सिर्फ अपनी कहना ओर कहती रहना
तुम्हारा कहना ही मुझे अच्छा लगता है
यार.. तुम साथ हो न
यही अहसास मुझे अच्छा लगता है

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5 MAY AT 19:45

मेरी ज़िंदगी इस खरबूजे जैसी हो गई
मज़े तो सभी लेते है
पर भाव कोई नही देता

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4 MAY AT 23:39

अपनी उदासी का आलम क्या बताऊँ तुझे
तू हँस दे तो मैं भी हँस देता हूँ
और तू रोती है तो
पलकें मेरी भी मुरझा जाती हैं
कुछ तो है तेरे मेरे दरमियां
तेरी खामोशी से डर लगता है मुझे
तेरी आहट भी मेरे सोए अरमा जगा जाती है

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2 MAY AT 22:48

क्यों न रहूँ मैं खुश
जब तुम भी हो मेरी खुशी में खुश होने के लिए
क्यों न रहूँ मै खुश
कोई वजह भी तो नही तुम्हारे होते मेरे दुखी होने के लिए
मैं ज़िंदगी को एक छत के नीचे नही ढूँढता
मेरी ज़िंदगी उस से भी जुड़ी है
जो बस एक बार ही पूछ लें कि बताओ तुम कैसे हो
सिर्फ मेरे खुश होने के लिए

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1 MAY AT 22:27

जिसने अकेलेपन को एन्जॉय करना सीख लिया
उसे किसी के भी आने या जाने से फर्क नहीं पड़ता

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