Lakshit verma   (Lakshit)
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कलमकार मैं शब्द को आकार दूँ 🎨
अपने विचार के प्रकार को इस उँगली से साकार दूँ ✏
Joined 7 March 2020


कलमकार मैं शब्द को आकार दूँ 🎨
अपने विचार के प्रकार को इस उँगली से साकार दूँ ✏
Joined 7 March 2020
8 FEB 2022 AT 11:42

सादगी में उसकी बीता एक ज़माना है,
सभी को यहाँ नाम कमाना है।
वो शख़्सियत समझा गयी मतलब ज़िन्दगी का,
ज़िंदा होके जीना बस यही तो फ़साना है।।

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19 MAY 2021 AT 23:33

सितारों पर लिखी मेरी ये किस्मत आयी है,
तक़्दीर में दोस्ती की जो ये बरकत आयी है।
हर राह चल सही मेने जब कठिनाई है,
मेरे यारों की गाड़ी मेरे पीछे आई है।।
मेरे यारों की गाड़ी मेरे पीछे आई है।।

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17 MAY 2021 AT 0:31

सच्चाई है ये सच क्यूँ झूठ सा लगता है,
क्या ऐसे ही इन्सान अपनी मासूमियत बदलता है।

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17 MAY 2021 AT 0:24

दोस्ती में दोस्ती केवल तब तक होती है जब तक वो निभायी जाती है।

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14 MAY 2021 AT 23:17

It's a treasure,only lucky peoples get this in their life.

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14 MAY 2021 AT 22:15

"Sorry"

It gave us very sad moments in our life which we don't even want to remember at all.

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11 MAY 2021 AT 11:52

कान्हा तुम मुझे क्यूँ सताते हो
देखता उसे हूँ मिल तुम जाते हो
जो याद उसकी हर क्षण आती है,
साथी बन साथ चले मेरे आ जाते हो ।

स्मरण उसका हर समय रहता है
हृदय पर घाव फिर क्यूँ ये गहरा रहता है
नींदों में उसकी कोई और आ जाता है,
प्रश्न ये तुमसे मेरा रहता है।

ख्वाबों में सपने जब मैं पिरोता हूँ
साथी जीवन का मैं उसे बनाता हूँ
आँसू ना आये इसलिये चहरे पर उसके,
खुशियों की वजह ही मैं बन जाता हूँ।

थाम लो अगर तुम ये हाथ मेरा,

दर्द को मैं दर्द में कर दूँगा
गगन पर तेरे मैं कर दूँगा
तू साथ तो चल एक दफा मेरे,
मैं आसमान को ज़मीन शहर कर दूँगा
मैं आसमान को ज़मीन शहर कर दूँगा।।

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9 MAY 2021 AT 14:14

माँ मन चाहता है कभी औरों की दुनिया से दूर किसी शान्त वन के शान्त वातावरण में तुम्हे अपने पास बैठाऊँ और बचपन से आज तक मेरी जिन्दगी के हर खुशी के पल से तम्हारी भेंट कराऊं।मगर क्या कहूँ तुम्हे कि मेरे तो हर उस पल में खुशी थी जिस पल में तुम थी। हाँ! मानता हूँ कभी तुम्हे ये नहीं कह पाता कि कितना प्यार है मुझे तुमसे,कभी तुम्हे तम्हारी अहमियत बयां नहीं कर पाता।अब क्या कहूँ तुमसे की मैं इतना काबिल नहीं कि एक माँ के कष्टों को कुछ चंद शब्दों में अदा कर सकूं। हाँ! कहना तो तुमसे बहुत कुछ चाहता हूँ,मेरे प्यार को तुम तक पहुँचाना चाहता हूँ ।मगर ये वर्णों का खेल कहाँ आसान लगता है। माँ की ममता की ये गुत्थि सुलझ पाना क्या मुमकिन लगता है?

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3 MAY 2021 AT 2:28

मुझे तेरे दिल के किसी कोने में जगह ना सही,
कुछ दिन ठहरने की इजाजत तो मिल ही सकती है?

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3 JAN 2021 AT 23:59

Jahaan main hoon wahaan tu Nahi,
Jahaan tu hai wahaan meri kadar Nahi!

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