कान्हा तुम मुझे क्यूँ सताते हो
देखता उसे हूँ मिल तुम जाते हो
जो याद उसकी हर क्षण आती है,
साथी बन साथ चले मेरे आ जाते हो ।
स्मरण उसका हर समय रहता है
हृदय पर घाव फिर क्यूँ ये गहरा रहता है
नींदों में उसकी कोई और आ जाता है,
प्रश्न ये तुमसे मेरा रहता है।
ख्वाबों में सपने जब मैं पिरोता हूँ
साथी जीवन का मैं उसे बनाता हूँ
आँसू ना आये इसलिये चहरे पर उसके,
खुशियों की वजह ही मैं बन जाता हूँ।
थाम लो अगर तुम ये हाथ मेरा,
दर्द को मैं दर्द में कर दूँगा
गगन पर तेरे मैं कर दूँगा
तू साथ तो चल एक दफा मेरे,
मैं आसमान को ज़मीन शहर कर दूँगा
मैं आसमान को ज़मीन शहर कर दूँगा।।
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