किताबी इश्क़🐿️   (A♡Ishq🦋)
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Joined 2 October 2019


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Joined 2 October 2019

लिख कर तेरे नाम को हर बार चूमती हूं मैं
बयां न कर सकूं हां तुमको इतना चाहती हूं मैं!

पलकों में सजाएं रातों में ख़्वाब तुम्हारे मैंने
तुम सिर्फ़ मेरे हो कह हररोज दुनियां से लड़ती हूं मैं!

हाथों की लकीरों में होता है नाम महबूब का
हर रोज अपनी हथेलियों नाम तेरा ढूढती हूं मैं!

कभी आओ तो करीब मेरे धड़कनें अपनी सुनाएंगे
इतना याद न आया करो खुद से रोज कहती हूं मैं!

बड़ी नादानियां होती है ये मोहब्बत में अक्सर मुझसे
सामने उनके आते ही उनसे ही नज़रे छुपाती हूं मैं!

उफ्फ सुनो मेरी बेचैनी को कब तुम समझ पाओगे
मरने वाले मुझ पे बहुत है, मगर तुम्हारा खुद को बताती हूं मैं!

"इश्क़" को गुरूर अपनी मोहब्बत पर कुछ ऐसा है
भूल सारे जहां को तुझमें अपनी दुनियां बनाती हूं मैं!

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His love is a breath of fresh air, and I can't get enough of it! I want his love in my life forever

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वो एक अकेला शक्स मेरी खुशियों का ख़ज़ाना हो गया
उसका मेरे साथ होगा, और मेरा दिन सुहाना हो गया!

लोग ढूंढते रहे सुकून अपनी अपनी बस खुशियों में
मगर मेरा तो सुकून बस उनका मुस्कुराना हो गया!

अब न कोई ख्वाहिश न शिकायत रही इस जमाने से
उनकी बाहें में इश्क़ का अब तो ठिकाना हो गया!

उसका ज़िक्र मेरी सुबह और मेरी शाम की दुआओं में
हां वो मुझे आज मुझे से भी इतना प्यारा हो गया!


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कुछ लोग मुझें मेरे कपड़ों से आंकते हैं
खुद के क़िरदार में क्यूं नहीं झांकते हैं!

खुद की नज़रों में परदा नहीं शर्म का
औरतों को पर्दे के पीछे ढालते हैं!

माना की गलती होगी हमारी भी इस दौर में
मगर दूध के धुला नही ये भी क्यूं नही मापते है!

बात सीता की हो या आज के दौर की लड़कियों की
मर्यादा की रेखा लड़के ही लाघते है!

हर बार उगलियाँ हमारे ही क़िरदार क्यूं उठाई जाती हैं
ये धर्म के ठेकेदार खुद को क्यूं गुनाहगार नही मानते हैं...!!

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ठीक तुम्हारी तरह

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सुनो एक तुम और दूसरी तुम्हारी यादें
मुस्कुराने के लिए बस इतनी वजह काफ़ी है!
आंखे खुलते ही तुम को ही याद करें दिल
इश्क़ में इस बात के लिए खुदा के सामने भी माफ़ी है...!!

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सुनो दायरे इश्क़ के कैसे कोई समझ पाएगा
इश्क़ सच्चा जिसका वो उसको मिल ही जाएगा!

जता कर कौन किससे कब तक इश्क़ कर पाएगा
मोहब्बत होगी अगर वो खुद ही समझ जाएगा!

दिल में उनकी सूरत है कोई कैसे देख पाएगा
उसके दिल में होगे अगर तुम तो उसको नज़र आएगा!

अल्फाज़ कम एहसास ज़्यादा बयां कर पाएगा
दूरियो का दर्द ऐसे किसी को समझ नही आएगा!

बहुत कुछ है कहने को "इश्क़" के पिटारे में
मगर क्यूं कहे जो करीब होगा वो खुद आएगा!!

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उफ्फ मियां
आपको सुकून क्या कहां
आप तो serious हो गए...

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कुछ तो है जो मुझे मेरी ही नज़रों में खूबसूरत बना रहा हैं
ये तेरा एहसास ही तो है , जो दिल तेरी ओर खींचा जा रहा है..!

यूं वक्त बेवक्त तेरा मुझ को याद आ जाना क्या कहूं
मेरी बेचैनियो का उफ्फ सुनो सबब बनता जा रहा हैं..!

न वादें है न ही कसमें न ही कोई उम्मीदें तुम से इश्क़ को
जो जितना भी तुमसे मिला इश्क़ को वो मुझें महका रहा है ..!

_Ishq🦋

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इश्क़ में ज़रूरी तो नही इज़हार किया जाए
क्यूं ना सिर्फ तेरे एहसासों से प्यार किया जाए..!

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