kishan roy   (Kroy)
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Joined 2 February 2018


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Joined 2 February 2018
1 MAY AT 20:30

सुना है बहुत इतरा रहे हो, हमारी कहानी सुना रहे हो। और तो और मेरी मोहब्बत को एकतरफा बता रहे हो।।
सुना है सज–संवर गैरों की महफ़िल में जा रहे हो।
और तो और मेरी मोहब्बत को वहां भी झुठला रहे हो।।


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29 APR AT 18:49

तेवर थोड़े नर्म हैं, लहज़ा भी बदल चुका है।
मान लो अब तुम्हें भी हमसे मोहब्बत हो चुका है।।

बोलना कम कर अब सुनने ज्यादा लगे हो।
क्या अब तुम भी मुझसे प्यार करने लगे हो।।

मेरी ख़ामोशी को अपनी आवाज़ दे रही हो।
मान लो अब तुम भी इज़हार कर रही हो।।

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28 APR AT 15:09

मोहब्बत में इंतज़ार की इंतहा नहीं होती,
और न हो देने को समय तो उनसे प्यार बेइंतहा नहीं होती।।

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19 APR AT 21:32

सुना है मेरी मोहब्बत में इतरा रही हो,
फिर खमोखा मुझसे ही क्यों शर्मा रही हो।
मिलने को तो तुम भी बेकरार हो रही हो,
फिर खमोखा मुझसे इतना इंतजार करा रही हो।।

अगर मिलना हुआ तो क्या मुझे अपना बता पाओगी,
मेरी बालों को अपने हाथों से सहला पाओगी।
अपने गोद में मेरा सर रख लोहड़ी सुना पाओगी,
और अगर चुभी जो रोशनी तो अपने बालों के छांव में सुला पाओगी।।

मिलने के बाद क्या अपना हक जता पाओगी,
तकलीफ होगी अगर तुम्हें तो क्या मुझे बता पाओगी।
आंख में आसूं आने से पहले क्या मुझे याद कर पाओगी,
अगर छीन लूं तुम्हारे आंख से पानी तो क्या मुझे अपना बना पाओगी।।

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18 APR AT 21:30

इश्क़ है कोई कहानी नहीं, प्यार है पर सुनानी नहीं!
मोहब्बत है पर बतानी नहीं, प्रेम है पर जतानी नहीं!!
इज़हार करूं तो कहना नहीं, इकरार करूं तो बोलना नहीं!
तुम्हें देखूं तो जुठलाना नहीं, हम तुम्हारे हैं किसी को बतलाना नहीं!!

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18 APR AT 12:37

सुबह की चाय और रात की अब ख्वाब बन गई हो,
मेरी दिल के धड़कन की अब वजह बन गई हो!
है इज़हार–ए–मोहब्बत कितना तुमसे वो हम नहीं जानते,
पर यकीन मानो मेरी होठों की अब चाहत बन गई हो।।

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15 APR AT 16:46

बताया था न, की आदत बन गए हो आप मेरी!
मेरी रातों की नींद, सुख चैन सब बन गए हो आप मेरी!
बताया था न, की चाहत बन गए हो आप मेरी!
फिर बेवजह तड़पा हमें, क्यों जान ले रहे हो आप मेरी!!

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7 APR AT 11:44

मेरी हसी पसंद है न तुम्हें, तो क्या उसकी वजह बनोगी?
मेरी धड़कन पसंद है तुम्हें, तो क्या उसकी हमसफ़र बनोगी?
है बहुत चाहत मुझसे, तो क्या मेरे नाम की मेहंदी लगाओगी?
इज़हार करूं अगर तो क्या अपने नाम में मेरा नाम लगाओगी?

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4 APR AT 21:27

तुम्हें चांद समझ निहारा करूं, तो क्या एकटक देख पाओगी तुम!!
तुमसे ख्वाबों में बात करूं, तो क्या उसे हकीकत में सुन पाओगी तुम!
अपना नाम तुम्हारे नाम करूं, तो क्या इज़हार-ए-मोहब्बत कर पाओगी तुम!!
मैं अगर अपने प्यार का इज़हार करूं, तो क्या हां कह पाओगी तुम!

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3 APR AT 8:19

तुम मेरी कलम की वो कल्पना हो, जिसके बारे में हमेशा से लिखना चाहता था!
पर क्या लिखूं, कितनी तारीफ़ करूं बस यहीं सोच मैं रुक जाता था!!
अब जो तुम मेरी कल्पना से निकल हकीकत में मिल बैठी हो,
तो अब बिना कल्पना किए बस कल्पना के बारे में ही लिखना चाहता हूं।

है मोहब्बत तुमसे, पर तुम्हारी आवाज़ से कुछ ज्यादा है!
है इश्क़ तुमसे, पर तुम्हारी मुस्कान से कुछ ज्यादा है!
है प्यार तुमसे, पर तुम्हारी सादगी से कुछ ज्यादा है!
है प्रेम तुमसे, पर तुम्हारी उल्फत से कुछ ज्यादा है!!


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