Kirti Pandey   (Kirti Pandey ✍️✍️)
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Joined 6 June 2019


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3 MAY AT 12:21

यू रास्ते नही बदला करते
सफर से परेशान होकर..
कोयला भी हीरा बनता है
मगर अपनी पहचान खोकर..

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17 APR AT 22:53

ख्वाहिशें और उनसे गुजरने वाले रास्ते
अगर एक हो जाए....
तो लोगो के मलाल ना खत्म हो जाए ।

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11 APR AT 11:48

लोग कहते है रो लेने से, ये दर्द हल्का होता है।
फिर वही लोग क्यों कहते है, तू लड़का होकर रोता है।।
पागल है क्या, कायर है क्या, बच्चों जैसा रोता है।
मतलबों की इस भीड़ में तू, भले कितने दर्दों में सोता है।।
तू लड़की है तू रो सकती है, देती दुनिया अधिकार उसे।
फिर क्यूं लड़को के रोने पर, करते अपने ही तिरस्कार उसे।।
भावनाओं से जुड़ा है आसूं, जिससे जुड़े संबंध कई।
फिर टूटने से रिश्तों के धागे, आसूं आंखों से बह ही गई।।
सुना है आसुओं को पीने से, बनते है शरीर में जहर कई।
पर निठुर निर्लज्ज समाज को इससे, पड़ता नही है असर कोई।।
पैदा होते ही रोते है, मरने पर भी सब रोते है।
जब खेल है सब इस रोने का, तो लड़के क्यूं नही रोते है।।

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2 APR AT 22:33

जज़्बाती होना तो आसान है।
मुश्किल तो उन्हे छिपाना है।।
हक जताना बड़ी बात नही।
मुश्किल तो ताउम्र निभाना है।।

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9 MAR AT 9:46

तू बहुत दूर है...
फिर भी आस पास सी लगती है।
भरी महफिलों में भी...
आँखो को तेरी कमी सी लगती है।
तेरे संग बिताए हर पूरे लम्हे...
अब तेरे बिन अधूरी सी लगती है।
तेरे जाने का गम ही कुछ ऐसा है कि..
चेहरे पर मुस्कान पर दिल मे
एक काश सी लगी रहती है।

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6 MAR AT 14:11

तकलीफों से थक कर..
आंखों से आंसू निकलते है।
बोलने वाले क्या जाने..
सहने वाले कितना सहते हैं।।

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12 FEB AT 21:08

आज कुछ यू हो जाए कि....
एक बार फिर तेरी फिक्र करू,
जो ना पूछे कोई भी अगर....
मै फिर भी तेरा जिक्र करू।

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1 JAN AT 1:11

बनारस की बात कुछ ऐसी है कि..
वहाँ के बारे मे सोचू तो सुबह से शाम हो जाए,
सर्द रातें, सुबह-ए-बनारस, अस्सी की चाय, गंगा आरती दृश्य..
इन सब विशेषताओं से परिपूर्ण बनारस के शोर मे मनुष्य अपनी मन की व्यथा और असमंजसता भी भूल जाए..
बाबा विश्वनाथ बस इतनी कृपा करना ,
कि हर साल आपके काशी दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो जाए..

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8 OCT 2023 AT 15:48

जनाब को आदत थी चीजें भूलने की ,
मगर जब से चीजें याद रहने लगी....
हमें भूला बैठे है।
बेहतर की तलाश में...
बेहतरीन गवां बैठे है।

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7 SEP 2023 AT 20:20

ना चाहो फिर भी कुछ चीजें छूट जाती है..
अधर पर हल्की मुस्कान , और भीगे नयन
कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ कह जाती है।
अधूरे - बिखरे सपनें समय से ना पूरे हो ,
तो जिंदगी काश मे रह जाती है।
बढ़ती जिम्मेदारियाँ और हर पहर खर्च होता समय ,
यही याद दिलाता है कि ना चाहकर भी कुछ चीजें छूट जाती है..

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