लोग कहते है रो लेने से, ये दर्द हल्का होता है।
फिर वही लोग क्यों कहते है, तू लड़का होकर रोता है।।
पागल है क्या, कायर है क्या, बच्चों जैसा रोता है।
मतलबों की इस भीड़ में तू, भले कितने दर्दों में सोता है।।
तू लड़की है तू रो सकती है, देती दुनिया अधिकार उसे।
फिर क्यूं लड़को के रोने पर, करते अपने ही तिरस्कार उसे।।
भावनाओं से जुड़ा है आसूं, जिससे जुड़े संबंध कई।
फिर टूटने से रिश्तों के धागे, आसूं आंखों से बह ही गई।।
सुना है आसुओं को पीने से, बनते है शरीर में जहर कई।
पर निठुर निर्लज्ज समाज को इससे, पड़ता नही है असर कोई।।
पैदा होते ही रोते है, मरने पर भी सब रोते है।
जब खेल है सब इस रोने का, तो लड़के क्यूं नही रोते है।।
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