तुम सुनो या न सुनो, हाथ बढ़ाओ न बढ़ाओ,
डूबते-डूबते एक बार पुकारेंगे तुम्हें।
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मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ,
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ।
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ज़मीं छूटी तो भटक जाओगे ख़लाओं में,
तुम उड़ते उड़ते कहीं आसमाँ न छू लेना।
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बड़ी घुटन है, चराग़ों का क्या ख़याल करूँ,
अब इस तरफ कोई मौजे-हवा निकल आये।
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