तुमसे मिलकर मुझे यकीन आया ,
कि इंतजार का फल वाकेई कितना मीठा है ,
इतना मीठा जैंसे सबसे रसीले गन्ने से बनी गुड़ की कोई चासनी ,
तुम्हारे होंठ अपने होंठों से छूते वक्त , मालूम हुआ कि बरसों का इंतजार पलभर , प्यार से होंठ काट कर काटा जा सकता है ,
पर इंतजार की श्रृंखलाएं हैं , ये मैंने तुमसे विदा लेते वक्त जाना ...
एक इंतजार खत्म भी हो जाए तो , दूसरा जन्म ले लेता है , दूसरे इंतजार के साथ चलती है मिठास की एक प्यास ,
इंतजार कितना लंबा हो सकता है ,
इतना कि दिन साल जैसे लगने लगे ,
इतना कि गर्म चाय भी ठंडी लगने लगे ,
इतना कि गिनी जा सके हर सांस , हर धड़कन , और घड़ी की हर टिक टिक ,
किसने पहली बार कहा होगा कि ,
"इंतजार का फल मीठा होता है" ,
उसने जिसको मिले होगे तुम और ,
तुम्हारे बेशुमार चुंबन
मुझे इंतजार का फल , इंतजार ही मिला ,
इंतजार के बाद कभी तुम भी मिल पाओगे ।।
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